देवत्व से परे
India Today Hindi|October 12, 2022
मिलन मुदगिल का फोटो प्रोजेक्ट कैलाशमानसरोवर की जो छवि उकेरता है वह पौराणिक कथाएं नहीं कर सकतीं
श्रीवत्स नेवटिया
देवत्व से परे

पहली बार 2002 में कैलाश पर्वत को देखने पर मिलन मुदगल बहुत अभिभूत नहीं हुए थे. उस क्षेत्र की बाद की यात्राओं के दौरान ही इस ग्राफिक डिजाइनर ने अपने अनुभवों का वर्णन करने के लिए “विशेष” और “अतिसुंदर" जैसे शब्दों का उपयोग करना शुरू किया. मुदगिल कहते हैं, "यह ठीक-ठीक बता पाना मुश्किल है कि कौन-सी खास चीज ने भीतर से वह भाव पैदा किया. लेकिन मुझे लगता है कि प्राकृतिक सुंदरता आप के भीतर कुछ हलचल पैदा करती है, और आप पूर्व के अपने अनुभवों से उस भावना को 'आध्यात्मिक' कहना शुरू कर देते हैं." पिछले अगस्त में दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में मुदगिल ने 2002 और 2007 के बीच कैलाश मानसरोवर की ली अपनी तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाई. उनकी तस्वीरें हमें पहले तिब्बती भूगोल पर विचार करते हुए हिंदू मिथकों से इतर सोचने को विवश करती हैं.

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