आवारा
(1951, श्वेत-श्याम)
राज कपूर की इस शानदार फिल्म ने भारत, रूस और मध्य पूर्व में धूम मचा दी और उन्हें भारतीय सिनेमा के शुरुआती अंतरराष्ट्रीय सितारों में जगह दी. कई घुमावदार मोड़ों से गुजरते हुए यह फिल्म जुर्म की राह पर चल पड़े बदमाश और परेशान हीरो राज की कहानी है. राज को आखिरकार रीता (बेहद शानदार नरगिस) बचाती है और उसके रंजिशजदा पिता जज रघुनाथ (इस रोल में राज के असल पिता पृथ्वीराज कपूर खुद) से मिलवाती है. के. ए. अब्बास की काबिल कलम से निकली यह फिल्म स्वभाव बनाम परवरिश की थीम के इर्द-गिर्द घूमती है. एम. आर. आचरेकर के भव्य सेट, शंकर-जयकिशन, शैलेंद्र और हसरत जयपुरी के शानदार गीत-संगीत ने इसे हमेशा के लिए लाजवाब फिल्म बना दिया.
अमर अकबर एंथोनी
(1977 रंगीन)
मनमोहन देसाई की मौलिकता और मजेदार अंदाज ने किस्मत (1943) से शुरू कर बिछड़ने और मिलने की थीम को हमेशा के लिए मौजूं बना दिया. अमर अकबर एंथोनी शानदार फिल्म है, जिसमें सब कुछ है-राष्ट्रीय एकता, हासपरिहास, शानदार संगीत, विनोदपूर्ण संवाद, जीवंत अदाकारी और गजब का पागलपन, जिसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते. अहम यह कि इसने हीरो से लगाई जाने वाली बंधीबंधाई उम्मीदों की बजाए हंसी-मजाक को अभिनय के एक जरूरी हिस्से के तौर पर जमीन दिलाई. इस तरह, अनजाने ही इस फिल्म ने कहानी में अलग से जोड़ी जाने वाली कॉमेडियन की भूमिका को निकाल फेंकने में अहम भूमिका निभाई. फिल्म के एक दृश्य में हम अमिताभ को फाइट करते देखते हैं, तो दूसरे में वे हमें हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देते हैं.
देवदास
(1955, श्वेत-श्याम)
Esta historia es de la edición January 04, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición January 04, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"