राजनीति में छह महीने का वक्त काफी लंबा होता है. अगस्त 2022 में जब पिछला इंडिया टुडे मूड ऑफ द नेशन (एमओटीएन) या देश का मिजाज सर्वे किया गया था, कांग्रेस बेतरतीब हालत में थी. वह पांच राज्यों - उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर की चुनावी हार से चकराई हुई थी. नेतृत्व का संकट अभी हल नहीं हुआ था. सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष थीं, पर 2019 के लोकसभा चुनावों में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बावजूद बेटे राहुल गांधी हकीकत में पार्टी के प्रमुख बने हुए थे. पार्टी थे. पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन पर आत्मनिरीक्षण करने के लिए मई 2022 में उदयपुर में हुए ‘चिंतन शिविर’ ने नया कांग्रेस अध्यक्ष खोजने के लिए चुनाव करवाने का फैसला किया था. मगर कयास लगाए जा रहे थे कि राहुल या उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा अपनी उम्मीदवारी पेश करके अध्यक्ष पद के चुनाव को बेमतलब बना देंगे. कहा जा रहा था कि पार्टी देश भर में जबरदस्त पदयात्रा निकालेगी, पर यह साफ नहीं था कि उसकी बनावट या रास्ता क्या होगा. कुल मिलाकर भारत के राजनैतिक परिदृश्य पर कांग्रेस के काम करने के तौर-तरीकों में बदलाव की कोई उम्मीद कम ही दिखाई देती थी.
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यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
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आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
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बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई