इसी कॉलोनी के बी ब्लॉक के 30 नंबर फ्लैट में कभी हिंदी के मशहूर कथाकारों में से एक फणीश्वरनाथ रेणु रहा करते थे. आज यह सूना पड़ा है. फ्लैट की बाहरी दीवारों का पलस्तर उखड़ गया है, अंदर कमरे में बीम में दरार पड़ने लगी हैं. इस पुराने और जर्जर फ्लैट में 2009 तक रेणु की तीसरी पत्नी लतिका रहा करती थीं. अब यहां रेणु और लतिका के इस्तेमाल किए गए पुराने फर्नीचर, दीवारों पर टंगी तस्वीरें, पुराने बरतन, रेणु के कुर्ते, बंडी, लुंगी, गमछे, उनका चश्मा, शेविंग सेट और ऐसी ही दूसरी चीजें रखी हुई हैं. इस खस्ताहाल फ्लैट में ऐतिहासिक महत्व की ये दुर्लभ चीजें यूं ही पड़ी हैं. हिंदी के इस नामचीन लेखक के व्यक्तिगत इस्तेमाल की इतनी चीजें यहां हैं कि एक ढंग का संग्रहालय तैयार हो सकता है. मगर इनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है.
पुराने ढंग के बने इस फ्लैट में दरवाजे से अंदर घुसने के बाद एल आकार का गलियारा है. दो कमरे, किचन, एक स्टोर रूम और एक शौचालय. बताते हैं रेणु परती परिकथा के प्रकाशन के बाद इस फ्लैट में रहने आए थे. इस उपन्यास को लिखते वक्त वे लतिका के साथ इलाहाबाद और बनारस में रहे थे. लतिका उनकी तीसरी पत्नी थीं, जो पटना के पीएमसीएच में नर्स थीं. रेणु की पहली पत्नी का देहांत हो गया था और दूसरी पत्नी पद्मा अररिया जिले के उनके गांव औराही हिंगना में रहती थीं. यह फ्लैट लतिका ने ही खरीदा था. 2009 तक वे इसमें रहीं. बुढ़ापा आने पर वे भी औराही हिंगना चली गईं. 2011 में वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली.
रेणु ने अपने आखिरी चर्चित रिपोर्ताज पटना-जलप्रलय में इस फ्लैट के बारे में विस्तार से लिखा है. यह पटना शहर में 1975 में आई भीषण बाढ़ का आंखों देखा हाल है, जो 26 अक्तूबर, 1975 को दिनमान में छपा और फिर उनके रिपोर्ताज संग्रह समय की शिला पर में.
Esta historia es de la edición March 01, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición March 01, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई