राजनेताओं और कारोबारियों के पूंजीवादी गठजोड़ के जिस निकृष्टतम रूप को देश और दुनिया देख रही है, उसके खिलाफ जन जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा. 'कार्रवाई का आह्वान' दस्तावेज के ये अंतिम वाक्य स्पष्ट रूप से 2024 के आम चुनाव के लिए कांग्रेस की योजना को रेखांकित करते हैं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 24 से 26 फरवरी तक आयोजित 85वें पूर्ण अधिवेशन के समापन दिवस पर कांग्रेस की ओर से जारी दस्तावेज में चार-आयामी रणनीति का ऐलान हुआ. सबसे प्रमुख यह विचार था कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से उत्पन्न ऊर्जा का इस्तेमाल करें. यह तीन अन्य में फैला हुआ है: इस साल के अंत में होने वाले छह विधानसभा चुनाव जीतने का प्रयास करें; कांग्रेस-शासित राज्यों के सामाजिक न्याय व समावेशी दृष्टि पर आधारित शासन मॉडल लोगों के सामने रखें; और कांग्रेस को केंद्र में रखकर समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने के लिए जोर लगाएं.
पार्टी के संदेश की सामग्री और स्वर में नया आत्मविश्वास दिख रहा था, और भारत जोड़ो यात्रा उसका स्रोत है. उसकी रणनीति की धुरी में उस संदेश का विस्तार करना है- भाजपा के कथित विभाजनकारी और हिंदुत्व की राजनीति के खिलाफ समावेशी, प्रगतिशील भारत का विजन पेश करना जिसमें संवैधानिक मूल्य सर्वोपरि हों. राहुल के शब्दों में, यह ऐसे राष्ट्रवाद की बात है जो शक्तिशाली चीन के सामने खड़ा हो सकता हो और आंतरिक कॉर्पोरेट मठाधीशों से भी वैसे ही लड़ सके जैसे कांग्रेस ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ी थी.
इस दस्तावेज ने विपक्ष के बारे में पार्टी के रवैये की अस्पष्टता को भी किया. कांग्रेस के सियासी प्रस्ताव में कहा गया, "साझा वैचारिक आधार पर राजग से मुकाबले के लिए एकजुट विपक्ष की तत्काल जरूरत है. किसी तीसरी ताकत के उभरने से भाजपा/राजग को लाभ होगा.” साफ है कि पार्टी खुद को भाजपा विरोधी गठबंधन की धुरी के रूप में देखती है और किसी अन्य पार्टी के नेतृत्व वाले वैकल्पिक गठबंधन में दूसरे नंबर की भूमिका के लिए तैयार नहीं है. पार्टी का मत है कि देश के सियासी विमर्श को पुनर्परिभाषित करने के लिए उसे राजनीति में फिर केंद्रीय स्थान हासिल करना होगा.
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