जून 2022 में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे - जो अपनी पार्टी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में शहरी विकास मंत्री थे – ने 39 अन्य विधायकों के साथ पार्टी को दो-फाड़ कर सबको चकित कर दिया था. बाद में भाजपा के साथ गठबंधन करके उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. दस महीने बाद इस तरह की अटकलें जारी हैं कि क्या अब शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी-जो विपक्षी गठबंधन एमवीए का एक हिस्सा है - में भी कोई शिंदे उभरने वाला है.
एनसीपी और एमवीए नेतृत्व की तरफ से एक के बाद एक बयानों ने इन अफवाहों को हवा दी है कि पवार के भतीजे और विधानसभा में नेता विपक्ष अजीत पवार के नेतृत्व में एनसीपी का एक खेमा बगावत कर सकता है और भाजपा से हाथ मिला सकता है, ताकि केंद्रीय जांच एजेंसियों के शिकंजे में फंसना टाला जा सके. गौरतलब है कि एनसीपी नेताओं की राज्य के सहकारी क्षेत्र, जिसमें चीनी मिलें और बैंक शामिल हैं, में व्यापक हिस्सेदारी है.
ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि फिलहाल तनावपूर्ण शांति का दौर ही जारी रह सकता है. एमवीए सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे अजीत पवार ने 18 अप्रैल को ऐसी खबरों को सिरे से खारिज कर दिया कि उन्होंने एनसीपी के 53 में से 40 विधायकों का समर्थन जुटा लिया है. उन्होंने दावा किया, "हम सभी एनसीपी में हैं और एनसीपी में ही रहेंगे... हम आखिरी दम तक पार्टी के लिए काम करते रहेंगे." वहीं, सांकेतिक तौर पर चेतावनी देते हुए अजीत ने यह भी कहा, "इस बारे में (राजनीतिक जुड़ाव में किसी बदलाव पर) कोई भी निर्णय एक पार्टी के तौर पर लिया जाएगा. अभी तो पार्टी ने एमवीए को ही मजबूत करने का फैसला किया है." एमवीए के रचनाकार और संकटमोचन माने जाने वाले उनके चाचा ने भी अजीत की तरफ से पार्टी तोड़ने की तैयारी संबंधी रिपोर्टों को पूरी तरह नकार दिया.
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