उनके पीछे प्रधानमंत्री मोदी की एक बड़ी सी तस्वीर लगी है. मंत्री लगातार उनका जिक्र भी करते हैं, लेकिन अपनी बात की भूमिका तैयार करते हैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दिए एक सबक से. 2003-04 का दौर था. प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव और फिर वाजपेयी के निजी सचिव रहते हुए अश्विनी, वाजपेयी से ढेर सारे सवाल पूछा करते थे. एक सवाल बार-बार आता-समाज और सरकार के बीच संबंध कैसे होने चाहिए? मितभाषी वाजपेयी सिर्फ इतना कहते, "जाओ नॉर्डिक देशों पर लिखी किताबें पढ़ो."
कई किताबें पढ़ लेने के बाद अश्विनी अपना सवाल लेकर फिर 'बापजी' के सामने थे. इस बार वाजपेयी ने जवाब दिया. बोले, "समाज और सरकार का लक्ष्य एक ही है - एक बेहतर भविष्य. लेकिन हमारे यहां इन दोनों के बीच जिस भाषा में बात होती है, उसमें समस्या है. सरकार का जिक्र एक विलेन की तरह होता है, जिससे अपना हक छीनकर ही लिया जा सकता है. और सरकार समाज के लिए काम करते हुए उपकार की भाषा का इस्तेमाल कर डालती है. क्या यह बेहतर नहीं होगा कि समाज और सरकार एक ही टीम में हों. सरकार समझे कि समाज क्या चाहता है, उसके अनुरूप नीतियां बनाती चले और समाज भी इस बात को स्वीकार करे कि सरकार दुश्मन नहीं है. जब सरकार और समाज के बीच समरसता उपजेगी, तभी आम लोगों के जीवन में बदलाव आ पाएगा."
आइआइटी कानपुर, सिविल सेवा, दुनिया के नामी बिजनेस स्कूल और फिर मल्टीनेशनल कंपनियों में उच्च पदों पर रह चुके अश्विनी को वाजपेयी की यह नसीहत बहुत आगे तक ले आई है. वे मोदी सरकार में तीन-तीन मंत्रालय संभाल रहे हैं, जिनमें से एक रेल भी है, जो हर रोज 2 करोड़ 40 लाख लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचाती है. फिर प्रधानमंत्री खुद हर वंदे भारत को हरी झंडी दिखाते हैं, तो प्रदर्शन का दबाव दोतरफा है. समाज और सरकार, दोनों ने जो लक्ष्य तय किए हैं, उन्हें पूरा करना अश्विनी के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. अश्विनी सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भी हैं, जिनसे जनता की निजता को लेकर सरकारी नीतियों पर प्रश्न तो पूछे ही जाते हैं, साथ में यह सवाल भी नत्थी होता है कि क्या उनकी भी पेगासस से जासूसी हुई थी.
Esta historia es de la edición March 20, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición March 20, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"