डिजिटल पेमेंट स्टार्ट-अप पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा और एडटेक स्टार्ट-अप बायजूज के सह-संस्थापक बायजू रवींद्रन शख्सियत में इससे ज्यादा अलहदा नहीं हो सकते थे. 45 वर्षीय शर्मा मिलनसार और आक्रामक हैं, और दफ्तर में हों या बाहर, अपने जज्बात जाहिर करने से नहीं हिचकिचाते. दूसरी तरफ, 44 वर्षीय रवींद्रन शर्मीले और थोड़े अंतर्मुखी हैं, बहुत कम बोलने वाले, सिवाय तब जब वे वह काम करते हैं जो उन्हें सबसे अच्छा लगता है - पढ़ाना.
अलबत्ता दोनों में बहुत-सी बातें साझा भी हैं. दोनों छोटे कस्बों में पलेबढ़े, स्थानीय स्कूलों में पढ़ाई की और अंग्रेजी कुछ और करते हुए आनन-फानन सीखी-एक ने रॉक संगीत के बोल याद करते हुए और दूसरे ने क्रिकेट कमेंटरी सुनते हुए. बहुत साधारण स्थितियों से शुरुआत करके दोनों ने ऐसी मजबूत कंपनियां बनाईं जो तेजी से यूनिकॉर्न बन गईं और वे अपने-अपने कारोबार के पोस्टर बॉय बन गए. शर्मा डिजिटल पेमेंट के कारोबार में, जहां उनके पेमेंट बैंक में 33 करोड़ डिजिटल वॉलेट हैं, 11.8 करोड़ ग्राहक हैं जिन्होंने उससे जुड़े कर्जदाताओं से 15,500 करोड़ रु. का कर्ज लिया, और उसकी फास्टैग सर्विस के छह करोड़ यूजर हैं जो इसके जरिए देश भर के टॉल बूथों पर डिजिटल भुगतान कर सकते हैं. पेटीएम की मातृ कंपनी वन-97 कम्युनिकेशंस ने वित्त वर्ष 2022-23 में 6,028 करोड़ रुपए का राजस्व दर्ज किया और 19 नवंबर, 2021 को आइपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) के जरिए बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के वक्त इसका बाजार पूंजीकरण 1.1 लाख करोड़ रुपए था. रवींद्रन ने ऑनलाइन शिक्षा के कारोबार में, जहां उन्होंने ऐसा उद्यम खड़ा किया, जिसका मूल्य 2022 में 22 अरब डॉलर (1.8 लाख करोड़ रुपए) था, वित्त वर्ष 2021-22 में जिसने 5,298 करोड़ रुपए का राजस्व कमाया और जिसके पास 12 करोड़ छात्र व 600 ऑफलाइन केंद्र थे. शर्मा ने 1.2 अरब डॉलर (9,950 करोड़ रुपए) की निवल संपदा के साथ 2022 में फोर्ब्स की वर्ल्ड बिलियनेयर लिस्ट में जगह हासिल की, तो रवींद्रन दो साल पहले ही 2020 में 1.8 अरब डॉलर (14,900 करोड़ रुपए) की संपदा के साथ इस सूची में पदार्पण कर चुके थे.
Esta historia es de la edición March 20, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición March 20, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई