सिल्क का नाम सुनते ही नूतन देवी के मन में यादों के पन्ने फड़फड़ाने लगते हैं. कभी उनके आंगन में रेशम के कीट पलते थे. नूतन के खेतों में ही उगे शहतूत के पत्तों को खाकर वे कीड़े कोकून बनाते. फिर कोकून को लेकर वे बंगाल चली जातीं, रेशम का धागा तैयार करवातीं. इन धागों को भागलपुर के बुनकर सिल्क के कपड़ों में बदल देते. तैयार सिल्क के कपड़ों को वे घूम-घूमकर पूर्णिया, पटना और दिल्ली के मेलों में बेचतीं. इन कपड़ों का कौशिकी सिल्क के नाम से ब्रांड भी बना था.
वे झट से एक आखिरी बची सिल्क की साड़ी उठा ले आती हैं. नूतन साड़ी दिखाते हुए कहती हैं, "यह साड़ी इसी पूर्णिया की मिट्टी की बनी है, कभी हम लोगों ने सोचा तक नहीं था कि ऐसा होगा. मगर हुआ." उनके पति अपने मोबाइल में सेव 'मन की बात' के उस एपिसोड को सुनाने लगते हैं, जिसमें प्रधानमंत्री ने नूतन और पूर्णिया के धमदाहा की इन महिला उद्यमियों की खूब तारीफ की थी.
पीएम मोदी 23 फरवरी, 2020 को प्रसारित इस कार्यक्रम में कहते हैं, "ये वह इलाका है, जो दशकों से बाढ़ की त्रासदी से जूझता रहा है. ऐसे में यहां खेती और आय के अन्य संसाधनों को जुटाना मुश्किल काम है. मगर इन्हीं परिस्थितियों में पूर्णिया की महिलाओं ने एक नई शुरुआत की और पूरी तसवीर ही बदल कर रख दी है." नूतन फिर उस कॉफी टेबल बुक को उठा लाती हैं, जिसमें देश भर की ग्रामीण औरतों की सफलता की कहानी दर्ज है. इसमें दो पन्ने पूर्णिया की उन महिलाओं के बारे में भी हैं, जो सिल्क तैयार करती थीं. इस समूह की संचालिका के तौर पर नूतन देवी की खास तारीफ की गई है.
कॉफी टेबल बुक को बंद करके किनारे रखकर नूतन सांस भरते हुए कहती हैं, "जैसे लगता है वह कोई सपना था. सपना खतम हो गया. अब धमदाहा के किसी गांव में जाइए, एक भी औरत आपको रेशम कीट पालती नजर नहीं आएगी. सब लोग मशीन हटाकर छप्पर पर रख दिए हैं. खेतों से शहतूत के पौधे हटा दिए हैं. अब फिर से सब लोग मकई, गेहूं और धान की खेती करने लगे हैं."
Esta historia es de la edición May 01, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición May 01, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.