अभी बीते साल तक ध्रुव राठी यूट्यूब पर 'एजुकेटर' या समझाने-सिखाने वाला बनकर संतुष्ट थे, अलगअलग विषयों पर 'प्रेरणा देने वाली व्याख्या' वाले वीडियो शेयर करते थे. फिर एक ऐसा मामला आया जिसे राठी ने देश के सुप्रीम कोर्ट की तरह ही 'लोकतंत्र की हत्या' की तरह देखा. घटना 30 जनवरी को चंडीगढ़ मेयर चुनाव की है, जिसके वायरल वीडियो क्लिप में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह आठ मतपत्र खराब करते दिखे थे. इससे भाजपा उम्मीदवार को जीता हुआ ऐलान किया गया और आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार हार गए. तब से, 29 वर्षीय इंजीनियरिंग पोस्ट ग्रेजुएट राठी की टीम भरोसेमंद डेटा के लिए विभिन्न लेखों और वीडियो को लगातार खंगाल रही है, ताकि राठी लोगों को "विस्तार से आगाह" करने वाली स्क्रिप्ट तैयार कर सकें. उनकी टीम में 10-15 रिसर्चर और एडिटर शामिल हैं.
लिहाजा, 'डरा हुआ डिक्टेटर' जैसा वीडियो इंटरनेट पर जंगल की आग की तरह फैल गया और 1 अप्रैल को रिलीज होने के बाद से अब तक 3.4 करोड़ बार देखा जा चुका है. दूसरे वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी भाषणों के फुटेज को चतुराई से जोड़कर उनके बयानों में विरोधाभास दिखाया गया और उन्हें 'झूठा' कहा गया. राठी के हिंदी वीडियो चैनल के सब्सक्राइबर 2.07 करोड़ हो गए हैं, जिसमें 57 लाख पिछले तीन महीनों में ही बढ़े हैं. इससे राठी मोदी समर्थकों के निशाने पर आ गए. लिहाजा, एक फर्जी मैसेज फॉरवर्ड किया गया कि राठी मुसलमान हैं (असल में वे हरियाणा के जाट हैं जो फिलहाल बर्लिन में रहते हैं). वे उन मुद्दों को उठा रहे हैं, जिन्हें उनके मुताबिक, मुख्यधारा का मीडिया अनदेखा कर रहा है. वे भारतीय इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के समर्थकों के पोस्टर बॉय बनकर उभरे हैं. इंडिया टुडे पत्रिका से बातचीत में राठी ने एजुकेटर से राजनैतिक टिप्पणीकार बनने को अपनी 'राष्ट्र सेवा' कहा और बताया कि "मूल विचार देश के लोकतंत्र को बचाना है."
धारा के खिलाफ जोखिम भरा साहस
Esta historia es de la edición June 12, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición June 12, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.