![इंजीनियरिंग चार कदम आगे की](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1719229011/articles/JpgzBmomr1719309925120/1719310345074.jpg)
टेक्नोलॉजी के तेजी से विकसित होते परिदृश्य पर, जहां नई क्रांतिकारी उपलब्धियां उद्योगों और समाज को नए सिरे से गढ़ रही हैं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ( इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी या आइआइटी) नवोन्मेषी दिमागों को पोषित करने और असल दुनिया की चुनौतियों के व्यावहारिक समाधान पेश करने में बेहद अहम भूमिका निभा रहे हैं. इन प्रतिष्ठित संस्थानों में आइआइटी दिल्ली उत्कृष्टता के प्रकाशस्तंभ के रूप में ऊंचा तनकर खड़ा है.
सन् 1961 में इंजीनियरिंग कॉलेज के तौर पर स्थापित आइआइटी दिल्ली को अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी स्तरों की इंजीनियरिंग की पढ़ाई में लगातार निर्विवाद अगुआ के तौर पर आंका गया है. कैंपस में वातावरण शांत और गंभीर है, जो छात्रों को हर काम में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित करने वाला परिवेश प्रदान करता है. अपनी स्थापना के बाद से आइआइटी दिल्ली ने इंजीनियरिंग, भौतिक विज्ञान, प्रबंधन, मानविकी और सामाजिक विज्ञान समेत विविध अनुशासनों में 60,000 से ज्यादा ग्रेजुएट तैयार किए हैं. इनमें 15,738 छात्रों ने बी.टेक. की डिग्री हासिल की, जो वैश्विक मंच पर स्थायी असर डालने के लिए तैयार इंजीनियरिंग के मेधावी मस्तिष्क गढ़ने के प्रति आइआइटी दिल्ली के दृढ़ समर्पण का प्रमाण है.
दूसरों से अलग कैसे है
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 की तरफ से दुनिया के शीर्ष 150 विश्वविद्यालयों में शुमार आइआइटी दिल्ली अपने छात्रों में उद्यमशीलता, अनुसंधान, नवाचार और जोखिम लेने की क्षमता को खाद-पानी देने का काम करता है
जब इंडस्ट्री से हाथ मिलाकर काम करने की बात आती है, तो वैज्ञानिकों, टेक्नोलॉजिस्ट, उद्यमियों और कारोबार प्रबंधकों से मिलकर बने पूर्व छात्रों के मजबूत वैश्विक नेटवर्क के साथ आइआइटी दिल्ली प्रतिस्पर्धा से हमेशा एक कदम आगे ही रहता है
बीते तीन साल में मंजूर पेटेंट की संख्या के मामले में यह इंजीनियरिंग कॉलेजों में पहले पायदान पर है और पेटेंट से आमदनी के मामले में तीसरे पायदान पर
यह प्रति फैकल्टी सदस्य के हिसाब से छपी पुस्तकों की संख्या के लिहाज से भी शीर्ष पर है
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![घाट-घाट की प्रेरणा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/LUUVJOPjd1719819069912/1719819253094.jpg)
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दिग्गज अभिनेता नाना पाटेकर ने एक्टिंग के अपने तरीके, फिल्मों, दर्शन, दोस्तों और किसानों के लिए बनाए ट्रस्ट समेत जीवन के कई पहलुओं पर इंडिया टुडे हिंदी और लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी से खुलकर बात की. पेश है बातचीत का संपादित अंशः
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दुनिया में ब्राजील के बाद रोबस्टा बीन्स के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक वियतनाम में सूखा पड़ने से आपूर्ति में रुकावट आई. इससे भारत के बागान मालिकों की हुई चांदी
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बेरोजगार युवाओं-युवतियों को नौकरी देने के नाम पर उनके साथ ठगी, यौन शोषण और क्रूरता की दहला देने वाली कहानियां
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आर्थिक मंदी ने आइआइटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़े छात्रों की नौकरी पर असर दिखाना शुरू कर दिया है. ऐसे संस्थानों की डिग्री अब नौकरी पक्की होने की गारंटी नहीं रही
![पेपर लीक के बाद अब कॉपीकांड](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/ndtFh9WZr1719815826406/1719816002127.jpg)
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न्यायिक सेवा सिविल जज जूनियर डिवीजन भर्ती 2022 की मुख्य परीक्षा में कॉपी की अदला बदली का आरोप यूपी लोक सेवा आयोग के गले की फांस बना हाइकोर्ट ने मांगीं उत्तर पुस्तिकाएं तो मचा हड़कंप
![“हम परीक्षाओं को 100 फीसद फूलप्रूफ बनाएंगे”](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/ibMy9dEZM1719815374569/1719815811899.jpg)
“हम परीक्षाओं को 100 फीसद फूलप्रूफ बनाएंगे”
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की कमान संभालने के फौरन बाद धर्मेंद्र प्रधान को राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा प्रणाली में गंभीर अनियमितताओं और गड़बड़ियों को लेकर उठे तूफान से निबटना पड़ा. इस मामले में विपक्ष ने उनके इस्तीफे की मांग तक कर डाली. इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और डिप्टी एडिटर अनिलेश एस. महाजन के साथ 25 जून को एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रधान ने इस संकट से पार पाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों और आगे की चुनौतियों के बारे में दोटूक और खरी-खरी बात की. इसी बातचीत के अंशः
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तमाशा बनी परीक्षाएं
पर्चा लीक और कई खामियों से चार राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं और करोड़ों युवाओं का भविष्य अधर में. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी विवादों के भंवर में. उसमें सुधार और पारदर्शिता वक्त की जरूरत बना
![सूरत बदलने का इंतजार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/WpzST80kY1719813845279/1719814029267.jpg)
सूरत बदलने का इंतजार
यह ऐसी योजना थी जैसे ताजा कटा हुआ चमकता नग हो. पांच साल पहले सूरत डायमंड बोर्स (एसडीबी) को मुंबई बढ़ती भीड़ और लागत वृद्धि का एकदम सटीक विकल्प माना गया था. मुंबई, जहां भारत के अधिकांश हीरा व्यापारी हैं, की टक्कर में हीरा कारोबारियों के लिए शानदार, सस्ते और बड़े ऑफिस, चौड़ी सड़कें, उन्नत हवाई अड्डे के साथ योजनाबद्ध अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय हवाई संपर्क की योजना बनाई गई थी. इसमें सोने में सुहागा प्रस्तावित बुलेट ट्रेन थी जो महज दो घंटे में सूरत से मुंबई बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स तक पहुंचा देती.