दरअसल, मुंबई के देवनार में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआइएसएस) का हरा-भरा परिसर व्यस्त महानगर की हलचल से राहत पाने की जगह है. मगर यह प्रतिष्ठित संस्थान परिसर के बाहर दी गई शिक्षा पर सबसे ज्यादा गर्व करता है. इसके स्कूल ऑफ सोशल वर्क (एसएसडब्ल्यू) में 16 फील्ड ऐक्शन प्रोजेक्ट हैं, जिनमें छात्र सरकार, गैर-सरकारी संस्थान और समुदायों के साथ मिलकर काम करते हैं. बीते साल इन कार्यक्रमों का 45,000 लोगों पर प्रभाव पड़ा और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने इसे बेस्ट सोशली रिस्पॉन्सिबल इंस्टीट्यूशन का पुरस्कार दिया. टी आइएसएस के छात्रों का कहना है कि यही अनुभव उन्हें किसी भी परिस्थिति के मुताबिक ढलने का आत्मविश्वास देता है.
एसएसडब्ल्यू के डीन डॉ. बिपिन जोजो कहते हैं कि "समुदाय की जरूरतों का प्रत्युत्तर देने के लिए सक्षम और प्रतिबद्ध पेशेवरों को तैयार करने" के लिए अकादमिक कार्यक्रमों में नवाचार और समुदाय के साथ भागीदारी प्रमुख पहलें हैं. दरअसल, यहां पढ़ाई केवल किताबों से सीखने तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय सरीखे विचारों को समझने के लिए फिल्में और डॉक्युमेंट्री देखना, और पिछले साल आयोजित दो सम्मेलनों-क्रमशः सोशल वर्क रिसर्च और सामाजिक शिक्षा के रूप में फील्ड वर्क-सरीखे सम्मेलनों में शामिल होना भी इसके दायरे में आता है. असल में, केवल इसके परिसर की समृद्ध जैवविविधता ही नहीं बल्कि इसके छात्रों की सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि भी टीआइएसएस को दूसरों से अलग करती है.
यह दूसरों से अलग कैसे है?
एमएसडब्ल्यू डिग्री देने वाले कॉलेजों की तरफ से किए गए सीएसआर कामों की संख्या के मामले में टीआइएसएस, मुंबई को पहली रैंक दी गई है
टी आइएसएस ने 4 में से 3.9 का एनएएसी (नैक) सीजीपीए स्कोर हासिल किया
पिछले साल कॉलेज को 11.26 करोड़ रुपए का शोध और परामर्श कार्य दिया गया, जो सोशल वर्क में मास्टर्स की पेशकश करने वाले कॉलेजों में सबसे ज्यादा था
छात्रों को दिया गया औसत वार्षिक वेतन (घरेलू) 6.4 लाख रुपए था, और यह एमएसडब्ल्यू की डिग्री देने वाले कॉलेजों में सबसे ज्यादा था
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'छोटी-छोटी फिल्में करना अच्छा लगता है'
नवाजुद्दीन सिद्दीकी जी फाइव पर रिलीज होने वाली अपनी अगली फिल्म राउतू का राज, संघर्ष के दिनों और ऐक्टिंग के तजुर्बे पर
अब डिजाइन के नए अवतार
व्यावहारिक प्रशिक्षण, नेटवर्किंग और उद्योग के अंदरूनी लोगों के साथ मेंटोरशिप के मौके, साथ ही शानदार रिसर्च प्रोजेक्ट. ऐसे तमाम पहलू डिजाइनर बनने की चाहत रखने वालों के लिए एनआइएफटी दिल्ली को बना देते हैं बेहतरीन संस्थान
मानवीय जुड़ाव
फील्ड वर्क और किताबी सीख से आगे बढ़कर मिलने वाला अनुभव टी आइएसएस के स्नातकों को किसी भी हालात में ढलने और उसका सामना करने का आत्मविश्वास देता है
कोडिंग का कौशल
उद्योग के अनुभवी लोगों और अपने पूर्व छात्रों के साथ घनिष्ठ संपर्क. इन्हीं के जरिए क्राइस्ट का कंप्यूटर विज्ञान विभाग यह पक्का कर रहा कि टेक्नोलॉजी के तेज विकास के साथ कदमताल करते हुए 'उसके छात्र चुनौतियों और आने वाले अवसरों के लिए अच्छे से तैयार हों
अच्छी संगत से रगत
एसएससीबीएस के छात्र अपडेटेड सिलेबस पढ़ते हैं जिसमें सैद्धांतिकी के साथ प्रैक्टिस भी में जुड़ी होती है. इंडस्ट्री में इस कॉलेज के अपने संपर्क ग्रेजुएट्स को प्रमुख एमएनसी तक पहुंचने मदद करते हैं
मेहमाननवाजी में नहीं कोई सानी
यह होटल प्रबंधन संस्थान नवीनतम रुझानों से अवगत है, विभिन्न संबद्ध विषयों में नए पाठ्यक्रम पेश कर रहा है
मीडिया के लिए ट्रेनिंग में अब भी बेमिसाल
मीडिया इंडस्ट्री के बदलते मिजाज के अनुरूप नए-नए कोर्स तैयार करने वाला आइआइएमसी जन संचार के छात्रों के लिए अब भी पसंदीदा प्लेटफॉर्म
दलील और तकनीक का मेल
यह संस्थान छात्रों को भविष्य की कानूनी लड़ाइयों के लिए तैयार करने के उद्देश्य से जेन एआइ जैसे नए जमाने के टूल्स से परिचित कराने के पुख्ता तरीके अपना रहा है
नवाचार के गढ़ रहे नए प्रतिमान
नवीनतम डिजाइन स्टूडियो और आला दर्जे की प्रयोगशालाओं में सैद्धांतिक ज्ञान को जमीन पर उतारा जा रहा. संकल्प है टिकाऊपन. आइआइटी रुड़की के डिपार्टमेंट ऑफ आर्किटेक्चर ऐंड प्लानिंग की भविष्य के लिए तैयारी बेहद सावधानी भरी
अगुआ गढ़े जाते हैं यहां
बिट्स पिलानी ने शिक्षा में इनोवेशन को बढ़ावा देने का काम किया है. अपनी जीरो-अटेंडेंस पॉलिसी और आंत्रेप्रेन्योरशिप पर केंद्रित पाठ्यक्रम के चलते संस्थान इंडस्ट्री की दुनिया के अगुआ लोगों को तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा