श्रीभरत मातुकुमिली, 35 वर्ष | टीडीपी | विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश
अपने दादा और दो बार के सांसद एम.वी.वी.एस.मूर्ति की कारोबारी और राजनैतिक विरासत से कहीं ज्यादा के उत्तराधिकारी हैं श्रीभरत. वे डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटी जीआइटीएएम के प्रेसिडेंट हैं जिसे मूर्ति ने 1980 में विशाखापत्तनम में स्थापित किया था और जिसके अब तीन कैंपस हैं. श्रीभरत ने हैदराबाद में कौटिल्य स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी की स्थापना की. उनका उद्देश्य भविष्य के जननेता तैयार करना है. इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग और अमेरिका से एमबीए/एमए की साझा डिग्री हासिल करने वाले श्रीभरत ने कई स्टार्ट-अप में निवेश किया है. टीडीपी के संस्थापक एन.टी. रामराव की पोती से उनकी शादी हुई है और उन्होंने 232.5 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की है.
प्रभाकर रेड्डी वेर्मीरेड्डी, 68 वर्ष | टीडीपी नेल्लोर, आंध्र प्रदेश
इएसआर-सीपी के टिकट पर वे 2018 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उन्होंने टीडीपी में शामिल होने के लिए इस लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी छोड़ दी. चेन्नै के लोयोला कॉलेज से स्नातक इस कारोबारी का कामकाज नब्बे के दशक में छोटी ठेकेदारी फर्म से शुरू होकर बड़ी खनन और सिंचाई फर्म-वीपीआर माइनिंग इन्फ्रा में बदल गया. 2015 में शुरू किया गया वीपीआर फाउंडेशन नेल्लोर में शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास कार्यों में जुटा हुआ है. लोकसभा के साथ ही हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी प्रशांति कोवुर
सी. एम. रमेश, 59 वर्ष | भाजपा | अनकापल्ली, आंध्र प्रदेश
प्रमुख उद्योगपति और दो बार के राज्यसभा सदस्य रमेश 2019 में टीडीपी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. कॉलेज में रहते हुए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी और 1999 में ऋत्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड स्थापित कर लिया था. यह एक अग्रणी फर्म है जिसका कामकाज ऊर्जा, सड़क, सिंचाई परियोजनाओं और प्रॉपर्टी डेवलपमेंट में फैला हुआ है. इन वर्षों में सियासी रसूख के साथ साथ रमेश की संपत्ति तेजी से बढ़कर 497 करोड़ रुपए जा पहुंची है. सीट से चुनी गई हैं. दोनों की कुल संपत्ति 716 करोड़ रुपए है.
चंद्रशेखर पेम्मासानी, 48 वर्ष | टीडीपी | गुंटूर, आंध्र प्रदेश
Esta historia es de la edición July 24, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición July 24, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई