विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी, 62 वर्ष | भाजपा | उत्तर कन्नड़, कर्नाटक
कागेरी 1994 से लगातार छह बार विधायक रहे लेकिन बेहद खूबसूरत मलनाड स्थित उनके गृह क्षेत्र सिरसी में 2023 में यह सिलसिला थम गया. कर्नाटक में भाजपा की पहली सरकार में वे मंत्री और 2019 में स्पीकर रहे. हव्यक ब्राह्मण और विधि स्नातक कागेरी भाजपा को उस समय एक बेहतर विकल्प नजर आए जब 'संविधान बदलने' को लेकर की गई टिप्पणी की वजह से पार्टी को उत्तर कन्नड़ से अपने छह बार के सांसद अनंत हेगड़े को ही बदलना पड़ा.
वसंतराव चव्हाण, 69 वर्ष | कांग्रेस | नांदेड़, महाराष्ट्र
अपने गांव नायगांव के सरपंच; दो बार राज्य विधान परिषद सदस्य और 2009 में विध सियासी मोर्चे में चव्हाण के नाम पर अच्छी-खासी उपलब्धियां जुड़ी हैं, जिन्हें एक दिग्गज चव्हाण के हटने से खाली हुई जगह भरने के लिए चुना गया. 2019 में भाजपा उम्मीदवार प्रताप पाटील चिखलीकर अशोक चव्हाण को उनके गढ़ में करारी शिकस्त दी थी लेकिन इसका बदला लेने की संभावना उस वक्त खत्म हो गई जब पूर्व मुख्यमंत्री खुद ही भाजपा में चले गए.
नए चव्हाण को चिखलीकर के खिलाफ लड़ाई के मैदान में उतारने के बावजूद जीत की बहुत ज्यादा उम्मीद तो नहीं की जा रही थी. लेकिन 'लोकनी निवादनुक हटत घेतली आहे (जनता ने चुनाव अपने हाथ में ले लिया) ' के नारे ने नांदेड़ में नया जोश भर दिया और हवा का रुख बदल गया.
बलवत वानखड़, 56 वर्ष | कांग्रेस | अमरावती, महाराष्ट्र
नवनीत कौर राणा के खिलाफ मैदान में उतरना ऐसा मौका नहीं था, जिसे हर कोई आसानी से आजमाना चाहे. कांग्रेस ने इसके लिए बलवंत वानखड़े को चुना. उन्होंने अभिनेत्रीसांसद की तुलना में 19,731 अधिक वोट हासिल किए. वानखड़े लंबे समय तक आरपीआइ (गवई) से जुड़े रहकर सियासी राह पर धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहे. बड़ी छलांग का मौका उन्हें कांग्रेस में आने के बाद ही मिला. 2019 में विधानसभा पहुंचे और अब लोकसभा ने भी उनके लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं.
अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, 46 वर्ष | कांग्रेस | लुधियाना, पंजाब
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"