एग्जीक्यूटिव एडिटर कौशिक डेका के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में यूजीसी के चेयरमैन एम. जगदेश कुमार उच्च शिक्षा नियामक की तरफ से किए गए सुधारों के बारे में विस्तार से बात करते हुए भविष्य के रोडमैप की रूपरेखा पेश कर रहे हैं. इस बातचीत के संपादित अंशः
प्रः यूजीसी ने 2022 में आपके कमान संभालने के बाद कौन से अहम सुधार शुरू किए?
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और शैक्षणिक संस्थान हायर एजुकेशन के सुधारों पर मिलकर काम कर रहे हैं. यूजीसी फैसिलिटेटर का काम कर रहा है. इसके प्राथमिक उद्देश्यो में से एक छात्रों को स्वतंत्रता और लचीलापन देना है. टेक्नोलॉजी की बदौलत हम शिक्षण के नतीजों का डेटा जुटा पा रहे हैं. इससे सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलती है, जिससे नीतिगत हस्तक्षेप किए जा सकते हैं. ऐसी एक पहल संस्थानों को फंडिंग और बुनियादी ढांचे की चिंता किए बिना बहुविषयक शिक्षा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने से जुड़ी है.
हम अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कोर्स के लिए पाठ्यक्रम के नए ढांचे लेकर आए. ये काफी लचीलापन देते हैं. मसलन, मध्यकालीन इतिहास पढ़ने में रुचि रखने वाले छात्र बीमा या जोखिम प्रबंधन में एकडेमिक क्रेडिट हासिल कर सकते हैं, जिससे उनके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. आज 4.3 करोड़ छात्रों की विशाल संख्या बीए, बीएससी या बीकॉम कर रही है. यूजीसी का उद्देश्य इन अंडरग्रेजुएट छात्रों को उनके नियमित विषयों के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, बैंकिंग, फाइनेंस और मैनेजमेंट के कोर्स की पेशकश करके रोजगार के योग्य बनाना है.
पोस्टग्रेजुएट कोर्स लचीलापन देते हैं. मसलन, कॉमर्स ग्रेजुएट राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा पास करके और स्वयम ऑनलाइन मॉड्यूल के जरिए क्रेडिट हासिल करके एप्लाइड मैथमैटिक्स में एमए का विकल्प चुन सकता है. हम ऑनलाइन साधनों के जरिए उच्च शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहे हैं. स्वयम प्लेटफॉर्म 3,000 कोर्स की पेशकश करता है. अंडरग्रेजुएट डिग्री प्रोग्राम की 40 फीसद तक क्रेडिट स्वयम के जरिए हासिल की जा सकती हैं. इससे उन ग्रामीण छात्रों को फायदा होगा जिनकी सुविधाओं तक सीमित पहुंच है.
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