मुजफ्फरपुर के औद्योगिक परिसर में बैग कंपनी हाइ स्पिरिट के अपने दफ्तर में बैठे तुषार जैन सादे कागज पर तरह-तरह की रेखाएं खींच रहे हैं, नक्शे बना रहे हैं. मुंबई के इस उद्यमी ने अब अपना धंधा यहीं शिफ्ट कर लिया है. वे बताते हैं, "कोरोना के बाद जब हमारी बैग फैक्टरी के बिहारी मजदूर लौटने में आनाकानी करने लगे तो हमने तय किया कि क्यों न हम खुद मजदूरों के घर के पास चले जाएं. 17 अप्रैल, 2022 को मैं पहली दफा बिहार आया था, छोटी-सी फैक्टरी शुरू करने. यहां मुझे इतना अच्छा रेस्पॉन्स मिला कि दो साल में मैंने अपना अस्सी फीसद कारोबार बिहार ट्रांसफर कर लिया है."
उन्होंने सिर्फ 56 दिनों में अपनी पहली यूनिट शुरू की. अपने जॉब वर्करों को बिहार ले आए. ऐसे 22 लोगों ने पूर्वी चंपारण में अपने-अपने गांवों में छोटीछोटी बाइस यूनिट लगाई. मुजफ्फरपुर में जीविका की दीदियों के साथ 42 यूनिट चला रहे हैं.
अभी बिहार में हाइ स्पिरिट की तीन बड़ी यूनिट हैं और वे 64 छोटी-छोटी यूनिट को जॉब वर्क दे रहे हैं. इसके अलावा वे मुजफ्फरपुर के गांवों में 45 महिलाओं को उनके घर में बैग के जिप स्लाइडर बनाने का भी काम देते हैं. इस तरह उनकी वजह से बिहार में इस वक्त 3,200 आधुनिक सिलाई मशीनें और 45 जिप स्लाइडर बनाने वाली मशीन लगातार चल रही हैं और इससे छह हजार लोगों को रोजगार मिला है.
हाइ स्पिरिट कोई अपवाद नहीं है. रेन वियर और विंटर वियर बनाने वाली कंपनी न्यू जील फैशन वियर ने पिछले साल सितंबर में हाजीपुर में एक यूनिट शुरू की थी. एक साल से भी कम समय में इस यूनिट में हर महीने एक लाख रेनकोट तैयार होने लगे. अब यह कंपनी राज्य में दूसरी यूनिट हाजीपुर ही में लगाने वाली है. न्यू जील में छह सौ लोग काम करते हैं, इनमें 80 फीसद स्थानीय महिलाएं हैं.
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