ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाई, झटके से यात्री चौंककर जाग गए, मगर उन्हें नहीं लगा कि कोई बड़ा हादसा है. बाद में जांच में रेलवे कर्मचारियों ने पाया कि ट्रैक पर कंक्रीट का एक बड़ा पत्थर और केबल मार्कर ब्लॉक था. हालांकि, किसी को कोई नुक्सान नहीं हुआ, लेकिन ट्रेन का इंजन और ट्रैक के कई हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए, और कर्मचारियों ने रात भर मलबा हटाने का काम किया. यह कोई दुर्घटना नहीं थी. भारतीय रेलवे के रिकॉर्ड में यह तोड़फोड़ की कार्रवाई थी.
देश में 1,32,000 किलोमीटर लंबे रेलवे नेटवर्क में परेशानी का यह सबब भारी है. चलती ट्रेनों की पटरियों पर पत्थर, लोहे की छड़ें, गैस सिलेंडर, अग्निशामक यंत्र, हथौड़े और यहां तक कि बाइक भी पाई गई हैं. सिग्नलिंग उपकरण लापता हैं. इन अवरोधों से टकराकर तेज रफ्तार ट्रेन पटरी से उतर सकती हैं और रोजाना सफर करने वाले 2.4 करोड़ से अधिक लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है. पटरियों पर इस तरह की हरकतें नई नहीं हैं, लेकिन रेल मंत्रालय के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इधर कुछ समय से ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ी है और वारदात करने 'वाले 'नए-नए तरीके' अपना रहे हैं. 2024 में अब तक पूरे देश में लगभग 56 ऐसे मामले सामने आए हैं.
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