राज भानुशाली, 26 वर्ष मुंबई
नई दवाओं की खोज के मामले में हम काफी पिछड़े हुए हैं. दरअसल दवाओं पर शोध और विकास बड़े भारी खर्चे का घर है. विशेषज्ञों मुताबिक भारतीय कंपनियां इससे बचती हैं.
यशराज बायोटेक्नोलॉजी दवा कंपनियों इस खर्च को कई गुना कम कर सकती है. और कंपनी की इस पहल के केंद्र में महज 26 साल के राज भानुशाली हैं. भारत में जो भी नई दवा विकसित करने की कोशिश की जा रही है, उनमें से अधिकांश का परीक्षण जानवरों पर होता है. भानुशाली बताते हैं, "जानवरों और इंसानों के शरीर की कोशिकाओं में समानताएं होने के बावजूद काफी असमानताएं हैं. जानवरों पर जिन दवाओं का परीक्षण होता है, वे जब ह्यूमन ट्रायल में जाती हैं तो उसमें सफलता दर तकरीबन 10 फीसद होती है. ऐसे में दवाओं के शोध-विकास पर काफी निवेश बेकार हो जाता है. जैसे अगर आप इस काम में 100 रुपए लगा रहे हैं तो सिर्फ 10 का ही काम हो रहा है, बाकी के 90 रुपए बेकार हो जाते हैं. लेकिन जब वही कंपनी अपनी दवा बाजार में उतारती है तो उसकी कीमत 10 रुपए के आधार पर नहीं बल्कि पूरे 100 रुपए की लागत पर तय करती है. "
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