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अनूठे खेल का बिहार अध्याय
India Today Hindi
|April 09, 2025
बि हार की राजधानी पटना के पाटलिपुत्र इंडोर स्टेडियम में रंग-बिरंगी रोशनी के बीच हाल ही एक अनूठे खेल का वर्ल्ड कप खेला गया. 2011 में इस खेल के वर्ल्ड कप के आयोजन की शुरुआत हुई थी.

अब तक इसके चार वर्ल्ड कप हुए हैं, दो मलेशिया क्वालालांपुर में, एक दक्षिण कोरिया के इओन में और एक भारत के हैदराबाद में. यह पांचवां वर्ल्ड कप था, जिसके आयोजन का मौका बिहार को मिला और इसमें भारत ने एक स्वर्ण भी जीता. खेल का नाम है, 'सेपक टकरा'.
सेपक टकरा की भारतीय पुरुष टीम के कोच बी.ए. शर्मा कहते हैं, "यह इतना नया खेल है कि लोग इसका नाम भी ठीक से नहीं बोल पाते. टीवी पर सुना है, लोग इसे लेग वॉलीबॉल कहते हैं. यह वॉलीबॉल जैसा है, मगर पूरी तरह वैसा नहीं है. इसमें बॉल को हाथ नहीं लगा सकते, बाकी कोई भी चीज इस्तेमाल कर सकते हैं. पैर से तो खेलते ही हैं, सिर से, पीठ से भी बॉल को हिट करते हैं, " मेन्स इंडियन टीम में शामिल बिहार के खिलाड़ी बॉबी कहते हैं, “एक तरह से यह फुटबॉल और वॉलीबॉल का मिला-जुला गेम है. बस फॉर्मेट और कोर्ट वॉलीबॉल जैसा है."
इस वर्ल्ड कप में 20 देशों ने हिस्सेदारी की. चीन और इंडोनेशिया नहीं आ पाए. इसकी वजह नहीं बताई गई. मगर जो देश आए, उनमें ज्यादातर एशिया के ही थे. मसलन, भारत के अलावा जापान, म्यांमार, थाइलैंड, मलेशिया, ईरान, वियतनाम, श्रीलंका, सिंगापुर और नेपाल. वजह यह है कि इसकी शुरुआत मलेशिया और थाइलैंड जैसे दक्षिण एशियाई देशों में हुई, यह वहां का पारंपरिक खेल है. 1960 में मलेशिया में इसका मानकीकरण किया गया और 1970 से एशियाई खेलों में इसे एक प्रदर्शनी खेल की तरह पेश किया गया.
भारत में इस खेल की शुरुआत 1982 में दिल्ली में हुए एशियाई खेलों से मानी जाती है. उस स्पर्धा में भी इसे प्रदर्शनी गेम की तरह ही रखा गया था, मगर भारतीय खिलाड़ियों ने भी इसे सीख लिया. 1990 में बीजिंग के एशियाई खेलों में इसे मेडल गेम की तरह पेश किया गया. 2011 में इंटरनेशनल सेपक टकरा फेडरेशन ने इसके वर्ल्ड कप की शुरुआत की. हालांकि इसे हर चार साल पर आयोजित होना होता है मगर अब तक अनियमित तरीके से इसका आयोजन होता आया है. 2011 के बाद 2017, 2022 और 2024 में इसके आयोजन हुए.
इस बीच इस खेल के लिए यह अच्छी बात रही कि इसका फैलाव एशिया से बाहर के मुल्कों जैसे अमेरिका, ब्राजील, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, कनाडा आदि देशों में भी हुआ. इनमें से कई देश इस बार के वर्ल्ड कप में भाग लेने आए.
Esta historia es de la edición April 09, 2025 de India Today Hindi.
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