हम कोयला खनन प्रक्रिया को पर्यावरण अनुकूल बनाना चाहते हैं। यही कारण है कि खनन भूमि पर हमारे द्वारा भारी मात्रा में पेड़ लगाए जा रहे हैं। हम खनन क्षेत्र में जल संचयन की व्यवस्था भी कर रहे हैं, जिससे सिंचाई एवं पीने के पानी की जरूरत पूरी हो सके। इसके अलावा हमने कोयला गैसीकरण के लिए 6000 करोड़ रूपये निर्धारित किए है, जिससे अपशिष्ट उत्पादन कम होगा। साल 2014-2015 से 2022-2023 तक हमने हरियाली क्षेत्र बढ़ाने के लिए 16262 हेक्टेयर भूमि पर 37.03 मिलियन पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने का कार्य किया है। खनन भूमि पर पेड़ लगाकर और जल स्रोत का सरंक्षण कर के इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी तक 30 जगहों पर इको टूरिज्म के जरिए आम जनता को प्रकृति के जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊर्जा मंत्रालय के साथ मिलकर जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे पूरा करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। हमने तय किया है कि हमारी 50 प्रतिशत ऊर्जा जरूरत, गैर जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन से पूरी होगी। पर्यावरण संरक्षण के साथ ही हमारी कोशिश है कि ऊर्जा जरूरतों पर भी असर न पड़े। दोनों में संतुलन बहुत जरूरी है। वर्तमान समय में भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत दुनिया में सबसे कम है। यह संभव नहीं है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए आम जनता अंधेरे में रहे। इसलिए संतुलन बनाकर ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की कोशिश की जा रही है। कोयला गैसीकरण इसी दिशा में निर्णायक कदम है। तालचेर उर्वरक संयंत्र एक बेहतरीन उदाहरण है कि किस तरह कोयला गैसीकरण का इस्तेमाल, भविष्य में यूरिया/अमोनिया की जरूरत को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। उर्वरक संयंत्र में कोयला आधारित पावर प्लांट भी है, जिसमें तालचेर खदान का कोयला इस्तेमाल किया जाता है। हम कोयला गैसीकरण को व्यावसायिक स्तर पर ले जाना चाहते हैं।
जैसा कि कुछ कंपनियों ने दावा किया है कि उनके पास कोयला गैसीकरण की आधुनिक तकनीक है, हम ऐसी कंपनियों को नीलामी में आमंत्रित करते हैं।
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