यह तोड़ की राजनीति अब नई नहीं है। चौंकाती भी नहीं, नैतिकता अनैतिकता के सवाल भी कुछ ही लोगों के मन में उठते हैं। विचारधारा तो शायद मायने ही नहीं रखती। राजकाज पर काबिज होकर नैरेटिव बदलने का बायस जरूर बनती है । यह कई राज्यों में हो चुका है। महाराष्ट्र में तो ऐसे हुआ, चित-पट होने की कुश्ती चल रही है । यह 48 घंटे के लिए 2019 में हो चुका है, जब भाजपा के देवेंद्र फड़नवीस और अजित पवार ने अचानक एक सुबह क्रमशः
मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी। तब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दिग्गज शरद पवार ने बाजी पलट दी थी और शिवसेना- राकांपा-कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनी। उसमें भी अजित पवार उप-मुख्यमंत्री बनाए गए। फिर शिवसेना के एकनाथ शिंदे 41 विधायकों के साथ टूटे तो उनकी अगुआई में 30 जून को भाजपा गठजोड़ सरकार बनी, जिसमें अजूबा यह था कि फड़नवीस उप-मुख्यमंत्री बन गए। सुप्रीम कोर्ट की मानें तो तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका भी अजूबी थी। ठहरिए, यही नहीं, साल भर से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार मंत्रिमंडल विस्तार भी नहीं कर पाई और उनके गुट के ज्यादातर विधायक मन मसोस कर रह गए थे। मानो कुछ इंतजार हो रहा था। यानी शिंदे गुट से महाराष्ट्र की सियासत साधने का भाजपा का मंसूबा पूरा होता नहीं लग रहा था।
अजित पवार की मंशा शायद उनके चाचा शरद पवार भांप गए थे। उन्होंने पहले इस्तीफे का दांव चला, फिर बेटी सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। लेकिन भाजपा को तो शायद महाराष्ट्र को साधने के लिए अजित की दरकार थी। शायद पटना में विपक्षी एकजुटता ने भी जल्दबाजी पैदा कर दी थी। ऐसे में 27 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में विपक्षी गठजोड़ को भ्रष्टों का गठजोड़ ही नहीं बताया, बल्कि विपक्ष की तमाम पार्टियों के घोटालों की रकम गिनाई और कार्रवाई की चेतावनी दी। राकांपा की घोटालों की रकम 70,000 करोड़ रुपये बताई, जिसमें सिंचाई, कोऑपरेटिव और मनीलान्ड्रिंग का जिक्र किया। उसके बाद 2 जुलाई को अजित पवार के साथ 8 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ले ली। ये सभी इन कथित घोटालों के लिए निशाने पर थे।
Esta historia es de la edición July 24, 2023 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición July 24, 2023 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
हिंदी सिनेमा में बलात्कार की संस्कृति
बलात्कार की संस्कृति को हिंदी फिल्मों ने लगातार वैधता दी है और उसे प्रचारित किया है
कहानी सूरमाओं की
पेरिस में भारत के शानदार प्रदर्शन से दिव्यांग एथलीटों की एक पूरी पीढ़ी को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली
शेखपुर गुढ़ा की फूलन देवियां
शेखपुर गुढ़ा और बेहमई महज पचास किलोमीटर दूर स्थित दो गांव नहीं हैं, बल्कि चार दशक पहले फूलन देवी के साथ हुए अन्याय के दो अलहदा अफसाने हैं
महाशक्तियों के खेल में बांग्लादेश
बांग्लादेश का घटनाक्रम दक्षिण एशिया के भीतर शक्ति संतुलन और उसमें अमेरिका की भूमिका के संदर्भ में देखे जाने की जरूरत
तलछट से उभरे सितारे
फिल्मों में मामूली भूमिका पाने के लिए वर्षों कास्टिंग डायरेक्टरों के दफ्तरों के चक्कर लगाने वाले अभिनेता आजकल मुंबई में पहचाने नाम बन गए हैं, उन्हें न सिर्फ फिल्में मिल रही हैं बल्कि छोटी और दमदार भूमिकाओं से उन्होंने अपना अलग दर्शक वर्ग भी बना लिया
"संघर्ष के दिन ज्यादा रचनात्मक थे"
फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के लगभग सभी कलाकार आज बड़े नाम हो चुके हैं, लेकिन उसके जरिये एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाले फैसल मलिक के लिए संघर्ष के दिन कुछ और साल तक जारी रहे। बॉलीवुड में करीब 22 साल गुजारने वाले फैसल से राजीव नयन चतुर्वेदी की खास बातचीत के संपादित अंश:
ग्लोबल मंच के लोकल सितारे
सिंगल स्क्रीन सिनेमाहॉल का दौर खत्म होने और मल्टीप्लेक्स आने के संक्रमण काल में किसी ने भी गांव-कस्बे में रह रहे लोगों के मनोरंजन के बारे में नहीं सोचा, ओटीटी का दौर आया तो उसने स्टारडम से लेकर दर्शक संख्या तक सारे पैमाने तोड़ डाले
बलात्कार के तमाशबीन
उज्जैन में सरेराह दिनदहाड़े हुए बलात्कार पर लोगों का चुप रहना, उसे शूट कर के प्रसारित करना गंभीर सामाजिक बीमारी की ओर इशारा
कांग्रेस की चुनौती खेमेबाजी
पार्टी चुनाव दोतरफा होने के आसार से उत्साहित, बाकी सभी वजूद बचाने में मशगूल
भगवा कुनबे में बगावत
दस साल की एंटी-इन्कंबेंसी और परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसे समीकरण साधने के चक्कर में सत्तारूढ़ भाजपा कलह के चक्रव्यूह में फंसी