टाइटैनिक जहाज का जादू है कि खत्म ही नहीं होता। इस जहाज को डूबे सौ साल से भी ज्यादा हो गए हैं। जहाज का नाम बाकी है और बाकी है इसका कुछ मलबा, लेकिन लोगों की उत्सुकता इसमें खत्म नहीं होती, भले ही इसके लिए जीवन क्यों न खत्म हो जाए। बीते 18 जून को दुनिया के पांच अरबपति टाइटैनिक का मलबा देखने टाइटन पनडुब्बी में बैठकर समुद्र में उतरे और फिर वापस नहीं आ सके । समुद्र में उतरने के दो घंटे के बाद ही उनकी पनडुब्बी का संपर्क टूट गया और 22 जून को घोषणा की गई कि पनडुब्बी फट गई है और उसमें सवार पांचों लोग मारे गए। मारे गए लोग दुनिया के अरबपतियों में थे। टाइटन त्रासदी में जान गंवाने वालों में इस अभियान का संचालन करने वाली कंपनी ओशनगेट के सीईओ स्टॉकटन रश, जो पनडुब्बी के पायलट भी थे, के साथ ब्रिटिश व्यवसायी हामिश हार्डिंग, पाकिस्तानी के सबसे अमीर परिवारों में से एक के सदस्य शहजादा दाऊद, शहजादा के बेटे सुलेमान दाऊद और पूर्व फ्रांसीसी नौसेना अधिकारी, टाइटैनिक विशेषज्ञ पॉलहेनरी नार्जियोलेट शामिल हैं।
पनडुब्बी का संपर्क टूटते ही अमेरिका सहित कनाडा, फ्रांस और ब्रिटेन के तटरक्षक जी जान से इसका पता लगाने में जुट गए। यह पनडुब्बी अटलांटिक महासागर में 4,000 मीटर की गहराई में टाइटैनिक जहाज के मलबे के खोज अभियान पर थी। अमेरिकी तटरक्षक के अनुसार टाइटन अटलांटिक महासागर में टाइटैनिक के मलबे से कुछ ही दूरी पर फट गया था।
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