शायद यह भी फायदा दे गया कि उनके शब्दकोश में नाराजगी शब्द नहीं है। उनसे 2022 के विश्व आदिवासी दिवस के वक्त ही राज्य में पार्टी की कमान उनसे ले ली गई। लेकिन उन्होंने कोई मलाल जाहिर किए बगैर संगठन के काम में जुट गए और लोगों को भाजपा से जोड़ते रहे।
इस साल चुनाव का ऐलान हुआ, तो पार्टी के लिए आदिवासी बहुल सीटों पर अपनी पकड़ वापस पाना बेहद जरूरी था, जो पिछले 2018 के चुनाव में उसके हाथ से छिटक गई थीं। प्रदेश में तकरीबन 33 फीसदी आदिवासी वोटरों की अहमियत यह है कि जिस पार्टी के हक में उनकी सीटें जाती हैं, उसी की राज्य में सरकार बन जाती है। आदिवासी बहुल जशपुर से विष्णुदेव चुनाव लड़ रहे थे। वहां की सभा में पार्टी के चुनाव रणनीतिकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "विष्णुदेव जी हमारे अनुभवी नेता हैं। सांसद रहे, विधायक रहे, प्रदेश अध्यक्ष रहे। अनुभवी नेता को भारतीय जनता पार्टी आपके सामने लाई है। आप इनको विधायक बना दो। उनको बड़ा आदमी बनाने का काम हम करेंगे।"
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