फली एस. नरीमन
(1929-2024)
वे 1972 से 1975 तक अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रहे, लेकिन 1975 में इंदिरा गांधी सरकार की इमरजेंसी की घोषणा पर इस्तीफा दे दिया। पद्म भूषण, पद्म विभूषण से सम्मानित राज्यसभा के सदस्य रहे। वे लोगों के अधिकारों, समानता, धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक मूल्यों की वकालत करते थे।
अपनी आत्मकथा व्हेन मेमोरी फेड्स में नरीमन ने धर्मनिरपेक्ष भारत में ही जीने और मरने की इच्छा व्यक्त की है। वे अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आलोचक रहे। पिछले साल द वायर के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने भारत के बारे में ‘एक परोक्ष आपातकाल की तरह है, लेकिन इसमें मुस्लिम, अल्पसंख्यक विरोधी भावना शामिल है’ कहा था।
आइ.सी. गोलकनाथ बनाम पंजाब, 1967 के मामले में, नरीमन ने दलील पेश की कि अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति की सीमा है। संविधान के भाग III में निहित मौलिक अधिकारों में फेरबदल नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ बहुमत से इस दलील से सहमत हुई। फैसला आया कि संसद ऐसा कानून नहीं बना सकती जो संविधान में उल्लिखित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता हो।
Esta historia es de la edición March 18, 2024 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición March 18, 2024 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
हमेशा गूंजेगी आवाज
लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा
क्या है अमिताभ फिनामिना
एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज
'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'
भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।
सस्ती जान पर भारी पराली
पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी
विशेष दर्जे की आवाज
विधानसभा के पहले सत्र में विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर एनसी का वादा निभाने का दावा, मगर पीडीपी ने आधा-अधूरा बताया
महान बनाने की कीमत
नाल्ड ट्रम्प की जीत लोगों के अनिश्चय और राजनीतिक पहचान के आपस में नत्थी हो जाने का नतीजा
पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?
ट्रम्प की जीत से नेतन्याहू को थोड़ी राहत मिली होगी, लेकिन फलस्तीन पर दोनों की योजनाएं अस्पष्ट
स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल
ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया
जलवायु नीतियों का भविष्य
राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम