भारत ने इंग्लैंड के बैजबॉल आइडिया को बुरी तरह धूल चटाकर 4-1 से टेस्ट शृंखला अपने नाम कर ली। सीरीज की मेजबान टीम इंडिया के पास चयन के कई विकल्प थे। मसलन, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे, उमेश यादव जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को लिया जा सकता था। लेकिन कप्तान, कोच और चयनकर्ताओं की निगाहें भावी खिलाडि़यों पर थी। सो, सरफराज खान, ध्रुव जुरेल, देवदत्त पडिक्कल, आकाश दीप और रजत पाटीदार जैसे युवाओं ने इस सीरीज में डेब्यू किया। बैजबॉल के खिलाफ भारत की यह सीरीज जीत यूथ ब्रिगेड के नाम ही रही। मैनेजमेंट ने अनुभव की जगह युवा ताकत को तरजीह देने की हिम्मत दिखाई, तो युवाओं ने खरा उतरकर दिखाया। पिछले पांच साल में यह दूसरी बार था जब एक ही टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया में पांच खिलाड़ियों ने पदार्पण किया। सरफराज की मुंबइया बल्लेबाजी, रांची में ध्रुव जुरेल की मैच जिताऊ पारी, आकाश दीप के पहले तीन विकेट और पडिक्कल का सूझबूझ भरा अर्द्धशतक एक नए दौर की शुरुआत जैसा है।
दरअसल, टेस्ट शृंखला शुरू होने से पहले ही टीम को विराट कोहली के रूप में एक बड़ा झटका लगा। विराट ने निजी कारणों से अपना नाम वापस ले लिया। मोहम्मद शमी भी चोट के चलते बाहर हो गए। चोट के कारण केएल राहुल ने सीरीज में केवल एक मुकाबला खेला। चोट के चलते रवींद्र जाडेजा को भी एक मैच में बाहर बैठना पड़ा। श्रेयस अय्यर फिटनेस की समस्या के कारण अचानक टीम की योजनाओं से बाहर हो गए। लेकिन, हर एक समस्या के साथ टीम में एक नई ऊर्जा की एंट्री हुई। जिन्हें टीम में चुना गया, उनमें टेस्ट क्रिकेट खेलने की भूख थी, जिस पर रोहित शर्मा ने हाल में काफी जोर दिया था। बकौल रोहित शर्मा, “टीम उन्हें ही मौके देगी जिनमें टेस्ट क्रिकेट खेलने की भूख है।” इसी तरह, उन खिलाड़ियों को मौका दिया गया, जिन्होंने घरेलू सर्किट में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। एक तरह से इन युवा सितारों के प्रदर्शन को टीम इंडिया डेब्यू कैप से पुरस्कृत किया गया।
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