संविधान निर्माता और दलित आइकन बीआर आंबेडकर की इस महीने पड़ने वाली जयंती पर कांशीराम द्वारा स्थापित बहुजन समाज पार्टी (बसपा) चालीस साल की हो जाएगी। पार्टी ने कई राज्यों में 1990 और 2000 के दशक में दलित वोट पर एकाधिकार कायम करके राष्ट्रीय पार्टी होने का दमखम दिखाया। उत्तर प्रदेश की राजनीति में तो उसका दबदबा निर्विवाद रूप से स्थापित हो गया था और 2006 के विधानसभा चुनावों में उसने अपने बूते बहुमत भी हासिल किया। लेकिन इस चुनाव में वही पार्टी प्रासंगिक बने रहने के लिए संघर्ष करती दिख रही है। देखना दिलचस्प होगा कि पारंपरिक वोट बैंक पर फिसलती पकड़, भाजपा और इंडिया ब्लॉक के दलित आउटरीच का विस्तार करने के प्रयासों के साथ-साथ छोटे दलित समर्थक दलों के उदय के बाद इस चुनाव में दलित वोट किसके पक्ष में जाएगा।
पंजाब के रोपड़ जिले में एक दलित परिवार में जन्मे कांशीराम जीवन भर भेदभाव का शिकार रहे। ऐतिहासिक रूप से सभी पिछड़े वर्गों और जातियों को सशक्त बनाने और गैर-द्विज जातियों के अधिकारों को सुरक्षित करने की मुहिम के तहत उन्होंने 1984 में एक राजनीतिक दल के गठन का निश्चय किया। कुछ ही समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलित वर्गों के भारी समर्थन से बहुजन समाज पार्टी ने अपनी पैठ बनाई। उनके नेतृत्व में पार्टी ने वंचित समूहों खासकर दलित मतदाताओं को एकजुट करने में सफलता पाई। वर्ष 1991 से 2002 के बीच, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में बसपा का वोट शेयर 9.4 प्रतिशत से बढ़कर 23.2 प्रतिशत हो गया और बसपा ने 1993, 1995, 1997 और 2002 में प्रदेश में गठबंधन सरकारें बनाईं, जिसमें कांशीराम की उत्तराधिकारी मायावती चार में से तीन बार मुख्यमंत्री बनीं।
Esta historia es de la edición April 29, 2024 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición April 29, 2024 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
हमेशा गूंजेगी आवाज
लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा
क्या है अमिताभ फिनामिना
एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज
'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'
भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।
सस्ती जान पर भारी पराली
पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी
विशेष दर्जे की आवाज
विधानसभा के पहले सत्र में विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर एनसी का वादा निभाने का दावा, मगर पीडीपी ने आधा-अधूरा बताया
महान बनाने की कीमत
नाल्ड ट्रम्प की जीत लोगों के अनिश्चय और राजनीतिक पहचान के आपस में नत्थी हो जाने का नतीजा
पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?
ट्रम्प की जीत से नेतन्याहू को थोड़ी राहत मिली होगी, लेकिन फलस्तीन पर दोनों की योजनाएं अस्पष्ट
स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल
ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया
जलवायु नीतियों का भविष्य
राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम