खटाखट, खटाखट, खटाखट...। हर चुनाव कुछ ऐसी तुकबंदियों का गवाह होता है जो लोगों की जुबान पर चढ़ जाते हैं और उन्हीं से वह पहचाना जाने लगता है। अठारहवीं लोकसभा के चुनाव के एक-दो चरणों के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यह चुटीली तुकबंदी ऐसे चढ़ती हुई लग रही है कि जवाब में दूसरी ओर से भी ऐसी ही आवाजें उठने लगीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में कहा, ‘‘4 जून को हम तो आ ही रहे हैं, लेकिन इंडी गठजोड़ बिखरने लगेगा खटाखट, खटाखट फटाफट, फटाफट।’’ अलबत्ता दोनों बयानों के लक्ष्य अलग हैं। बकौल राहुल, ‘‘हमारी सरकार आई तो महिला और युवाओं के खाते में हर महीने साढ़े आठ हजार रुपये आएंगे खटाखट...।’’ प्रधानमंत्री या भाजपा कुछ और कह रहे हैं। लेकिन इससे चुनाव के चरण आगे बढ़ने के साथ लड़ाई तीखी होने के संकेत जरूर मिलते हैं। अब तक पांच चरणों में 429 संसदीय सीटों का मामला तय हो चुका है (गुजरात में सूरत की एक सीट बिना मतदान के, जहां कांग्रेस समेत सभी उम्मीदवारों के पर्चे वापस या रद्द हो गए)। अब कुल 523 सीटों में सिर्फ 114 सीटों पर छठे और सातवें दौर में वोट पड़ने हैं।
इनमें से ज्यादातर सीटें उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में हैं। इसके अलावा झारखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य हैं। ये राज्य सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी अगुआई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को दो लोकसभा चुनावों 2014 और 2019 में भारी बढ़त से बहुमत हासिल करने में मदद मिली थी, लेकिन इस बार कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों के ‘इंडिया’ गठबंधन से ही उसे मजबूत चुनौती नहीं मिल रही है, बल्कि मुद्दों पर भी घिरती नजर आ रही है। जैसे-जैसे चुनाव के चरण बढ़ते जा रहे हैं, यह चुनौती और कड़ी होती दिख रही है।
Esta historia es de la edición June 10, 2024 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición June 10, 2024 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
शहरनामा - मधेपुरा
बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित, अपनी ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक वैभव और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध मधेपुरा कोसी नदी के किनारे बसा है, जिसे 'बिहार का शोक' कहा जाता है।
डाल्टनगंज '84
जब कोई ऐतिहासिक घटना समय के साथ महज राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा बनकर रह जाए, तब उसे एक अस्थापित लोकेशन से याद करना उस पर रचे गए विपुल साहित्य में एक अहम योगदान की गुंजाइश बनाता है।
गांधी के आईने में आज
फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई के दो पात्र मुन्ना और गांधी का प्रेत चित्रपट से कृष्ण कुमार की नई पुस्तक थैंक यू, गांधी से अकादमिक विमर्श में जगह बना रहे हैं। आजाद भारत के शिक्षा विमर्श में शिक्षा शास्त्री कृष्ण कुमार की खास जगह है।
'मुझे ऐसा सिनेमा पसंद है जो सोचने पर मजबूर कर दे'
मूर्धन्य कलाकार मोहन अगाशे की शख्सियत के कई पहलू हैं। एक अभिनेता के बतौर उन्होंने समानांतर सिनेमा के कई प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम किया। घासीराम कोतवाल (1972) नाटक में अपनी भूमिका के लिए वे खास तौर से जाने जाते हैं। वे मनोचिकित्सक भी हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर उन्होंने कई फिल्में बनाई हैं। वे भारतीय फिल्म और टेलिविजन संस्थान (एफटीआइआइ) के निदेशक भी रह चुके हैं। उनके जीवन और काम के बारे में हाल ही में अरविंद दास ने उनसे बातचीत की। संपादित अंशः
एक शांत, समभाव, संकल्पबद्ध कारोबारी
कारोबारी दायरे के भीतर उन्हें विनम्र और संकोची व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, जो धनबल का प्रदर्शन करने में दिलचस्पी नहीं रखता और पशु प्रेमी था
विरासत बन गई कोलकाता की ट्राम
दुनिया की सबसे पुरानी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में एक कोलकाता की ट्राम अब केवल सैलानियों के लिए चला करेगी
पाकिस्तानी गर्दिश
कभी क्रिकेट की बड़ी ताकत के चर्चित टीम की दुर्दशा से वहां खेल के वजूद पर ही संकट
नशे का नया ठिकाना
कीटनाशक के नाम पर नशीली दवा बनाने वाले कारखाने का भंडाफोड़
'करता कोई और है, नाम किसी और का लगता है'
मुंबई पर 2011 में हुए हमले के बाद पकड़े गए अजमल कसाब के खिलाफ सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम 1993 के मुंबई बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन की हत्या जैसे हाइ-प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं। कसाब के केस में बिरयानी पर दिए अपने एक विवादास्पद बयान से वे राष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे। उन्होंने 2024 में भाजपा के टिकट पर उत्तर-मध्य मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। लॉरेंस बिश्नोई के उदय और मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी ने उनसे बातचीत की। संपादित अंश:
मायानगरी की सियासत में जरायम के नए चेहरे
मायापुरी में अपराध भी फिल्मी अंदाज में होते हैं, बस एक हत्या, और बी दशकों की कई जुर्म कथाओं पर चर्चा का बाजार गरम