जब शाहरुख खान की चक दे इंडिया आई थी, तो दर्शकों को इसमें एक रीयल हीरो नजर आया और इसी बात ने बॉक्स पर पैसे बरसाए थे। इसके बाद फरहान अख्तर की भाग मिल्खा भाग आई। यह फिल्म चक दे इंडिया की तरह धमाल भले न मचा पाई लेकिन दर्शकों ने उसे नकारा नहीं । यह भी हिट की श्रेणी में रही। इसके बाद एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी आई और छा गई। इन फिल्मों की सफलता से निर्माता-निर्देशकों को लगा कि खिलाड़ियों का जीवन सुनहरे परदे पर दिखाना फायदे का सौदा है। क्योंकि आमिर खान की दंगल और सलमान खान की सुल्तान दोनों ही फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुईं। यहीं पर फिल्म जगत चूक गया और विषय की भेड़चाल में फंस गया।
सूरमा, साइना, शाबाश मिठू ऐसी ही फिल्में हैं, जो पर्याप्त दर्शक नहीं जुटा पाईं। बीते कुछ समय से हिंदी सिनेमा में खेल आधारित फिल्में लगातार फ्लॉप हो रही हैं। खिलाड़ियों के जीवन पर आधारित बायोपिक फिल्मों से लेकर बड़े स्टार कास्ट वाली खेल आधारित फिल्में, बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर रही हैं।
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गांधी पर आरोपों के बहाने
गांधी की हत्या के 76 साल बाद भी जिस तरह उन पर गोली दागने का जुनून जारी है, उस वक्त में इस किताब की बहुत जरूरत है। कुछ लोगों के लिए गांधी कितने असहनीय हैं कि वे उनकी तस्वीर पर ही गोली दागते रहते हैं?
जिंदगी संजोने की अकथ कथा
पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट परदे पर नुमाया एक संवेदनशील कविता
अश्विन की 'कैरम' बॉल
लगन और मेहनत से महान बना खिलाड़ी, जो भारतीय क्रिकेट में अलग मुकाम बनाने में सफल हुआ
जिसने प्रतिभाओं के बैराज खोल दिए
बेनेगल ने अंकुर के साथ समानांतर सिनेमा और शबाना, स्मिता पाटील, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, गिरीश कार्नाड, कुलभूषण खरबंदा और अनंतनाग जैसे कलाकारों और गोविंद निहलाणी जैसे फिल्मकारों की आमद हिंदी सिनेमा की परिभाषा और दुनिया ही बदल दी
सुविधा पचीसी
नई सदी के पहले 25 बरस में 25 नई चीजें, जिन्होंने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली
पहली चौथाई के अंधेरे
सांस्कृतिक रूप से ठहरे रूप से ठहरे हुए भारतीय समाज को ढाई दशक में राजनीति और पूंजी ने कैसे बदल डाला
लोकतंत्र में घटता लोक
कल्याणकारी राज्य के अधिकार केंद्रित राजनीति से होते हुए अब डिलिवरी या लाभार्थी राजनीति तक ढाई दशक का सियासी सफर
नई लीक के सूत्रधार
इतिहास मेरे काम का मूल्यांकन उदारता से करेगा। बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस (3 जनवरी, 2014) में मनमोहन सिंह का वह एकदम शांत-सा जवाब बेहद मुखर था।
दो न्यायिक खानदानों की नजीर
खन्ना और चंद्रचूड़ खानदान के विरोधाभासी योगदान से फिसलनों और प्रतिबद्धताओं का अंदाजा
एमएसपी के लिए मौत से जंग
किसान नेता दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी लेकिन केंद्र सरकार पर असर नहीं