निधि और राघव की शादी हुए एक महीना ही हुआ था. एक दिन एक छोटी सी बात पर निधि की राघव से लड़ाई हो गई. 3 भाइयों की इकलौती बहन निधि स्वभाव में थोड़ी तेज थी. पति से तकरार हुई तो वह उस पर झपट पड़ी. राघव ने खुद को बचाते हुए उसे धक्का दिया तो वह जमीन पर जा फिसली. इसी बीच छोटे देवर ने दौड़ कर उसे उठाया और कमरे में ले गया. राघव गुस्से में घर से बाहर चला गया.
उस वक्त निधि के सासससुर घर पर नहीं थे. देवर ने यह सोच कर कि थोड़ी देर में भाभी ठीक हो जाएंगी, अपने कालेज चला गया. मगर निधि के सिर पर तो जैसे जनून सवार हो गया. उस ने चार कपड़े बैग में डाले और रिकशा कर के मायके चली गई. निधि का मायका उस की ससुराल से कुछ ही दूरी पर था. वहां पहुंच कर उस ने राघव के बारे में अपने भाइयों और मातापिता से दो की चार लगाईं. वह मुझे मारता है, गंदीगंदी गालियां देता है, पता नहीं क्या देख कर आप लोगों ने मेरी शादी उस घर में कर दी आदि जैसी बातें रोरो कर सुना डालीं.
निधि की बातें सुन कर उस का बड़ा भाई सुरेश तैश में आ गया. सुरेश का अपनी बहन से कुछ ज्यादा ही स्नेह था. सुरेश सब भाईबहनों में सब से बड़ा था और घर के ज्यादातर कामों में उस की राय ली जाती थी. वह गुस्सैल और जिद्दी स्वभाव का था. उस के इस स्वभाव ने गली के लौंडेलफाड़ियों से निधि और छोटे भाइयों की सुरक्षा भी की, मगर हर चीज गुस्से से नहीं सुलझाई जा सकती है. अब की उस के गुस्सैल और जिद्दीपन ने तो बहन का घर ही बरबाद कर दिया.
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