कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो
Sarita|November Second 2024
कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.
शिखा जैन
कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो

ऋषि चार्वाक ने कहा था- 'यावत जीवेत सुखं जीवेत, ऋणं कृत्वा घृतं पीबेत.' यानी जब तक जिएं, सुख से जिएं, कर्ज ले कर घी पिएं.

यह श्लोक हम ने कई बार सुना है. इस के उलट इस पर अमल करने को हमारे पूर्वजों ने गलत बताया है, उन का कहना था कि कर्ज ले कर जीवनयापन करना बहुत खराब है. इस पर कई कहावतें और लोकोक्तियां भी बनीं. सभी में यही कहा गया, 'जितनी चादर हो, अपने पैर उतने ही फैलाने चाहिए.' हालांकि कर्ज ले कर अगर अपना बिजनैस बढ़ाया जाए तो यह बुरा नहीं है.

लेकिन कर्ज आप कहां से ले रहे हैं ? उस पर कितना ब्याज दे रहे हैं ? कर्ज के पैसों को कहीं आप घर के ऐशोआराम में तो नहीं खर्च कर रहे ? ये सब बातें माने रखती हैं.

अभी हाल ही में कर्ज के जाल में फंस कर एक और हंसताखेलता परिवार खत्म हो गया. यूपी के सहारनपुर के सर्राफा कारोबारी सौरभ बब्बर और उस की पत्नी मोना बब्बर ने गंगा नदी में कूद कर जान दे दी. कूदने से पहले दोनों ने सैल्फी ली. उसे अपने दोस्तों को भेजा. साथ में, सुसाइड नोट भी था, जिस में लिखा था

कर्ज में डूबे हुए हैं. ब्याज देदे कर परेशान हो गए हैं. अब हम से और ब्याज नहीं दिया जाता. इसलिए मौत को गले लगाने जा रहे हैं.

ऐसा भी नहीं है कि उन्हें अपने बच्चों की चिंता नहीं थी. पतिपत्नी ने अपने बच्चों के भविष्य की चिंता करते हुए उन्हें नानानानी के घर में छोड़ा. उन के ऊपर 10 करोड़ रुपए का कर्ज था. उन्होंने कर्ज चुकाने की कोशिश में घर या मकान को नहीं बेचा, बल्कि बच्चों के लिए उस प्रौपर्टी को छोड़ने की बात लिखी. यह केवल एक घटना नहीं है बल्कि आएदिन इस तरह की घटनाओं से अखबारों के पन्ने भरे रहते हैं. ऐसे जाने कितने मामले हैं जहां आर्थिक तंगी और कर्ज ने पूरा परिवार बरबाद कर दिया.

मशहूर ऐक्टर और प्रोड्यूसर नितिन देसाई ने भी कर्ज के जाल में फंस कर जान दे दी थी.

दिग्गज, आर्ट डायरैक्टर, ऐक्टर व प्रोड्यूसर नितिन देसाई पर 180 करोड़ रुपए का कर्जा चढ़ा हुआ था. इस कर्ज को उतारने के लिए उन्होंने अपनी सारी जमीनजायदाद को गिरवी रखा हुआ था. बताया जा रहा है कि आर्ट डायरैक्टर ने यह रकम एक फाइनैंस कंपनी से ली थी. जब नितिन देसाई इस कर्ज को उतारने में खुद को असमर्थ समझने लगे तो उन्होंने खुदकुशी जैसा जानलेवा कदम उठा लिया.

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