1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
Sarita|December First 2024
क्या कानून हमेशा समाज सुधार का रास्ता दिखाते हैं या कभीकभी सत्ता के इरादों का मुखौटा बन जाते हैं? 2014 से 2024 के बीच बने कानूनों की तह में झांकें तो भारतीय लोकतंत्र की तसवीर कुछ अलग ही नजर आती है.
अंतिम भाग
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा

इस श्रृंखला में 1947 के बाद की सरकारों की नीतियों और उन के दैनिक कामकाज, राजनीति या विदेशी मामलों और भ्रष्टाचार की समीक्षा नहीं की जा रही है. इस श्रृंखला का उद्देश्य यह परखना है कि 1947 के बाद केंद्र सरकार ने जो कानून बनाए या संविधान संशोधन किए उन से समाज सुधार हुआ तो वह क्या है. केवल सरकार चलाने के उद्देश्य से बनाए गए किसी कानून की समीक्षा नहीं की जा रही है, इस में वे कानून हैं जिन का जनता और समाज पर व्यापक असर पड़ा.

संसद का सब से प्रमुख कार्य कानून बनाना होता है. दूसरा, यह कि जनता के दैनिक मुद्दों और सरकार के कामकाज पर बहस हो सके. कानूनों के जरिए समाज में उठने वाले मतभेद और संघर्ष दूर किए जा सकते हैं तो वहीं जनता को विभाजित भी किया जा सकता है. यह सत्ता में बैठे लोगों के हाथों और उन के विवेक पर निर्भर है.

1947 के बाद सत्ता में बैठे लोगों के हाथों व उनके विवेक से बने कानूनों को देखने व समझने के बाद यह कहा जा सकता है कि 2014 के पहले बने बहुत से कानूनों के जरिए समाज सुधार की दिशा में काफी काम हुआ. इस की चर्चा पिछली किस्तों में इस श्रृंखला में की गई है. इस श्रृंखला में उन कानूनों की बात नहीं की गई जो सरकार चलाने के लिए बनाए जाते हैं, उन कानूनों में ऐसे कानून भी थे जिन्होंने जनता के हक छीने थे पर इस श्रृंखला में उन की बात नहीं की गई है.

वर्ष 2014 से 2024 तक बहुमत में मौजूद हिंदुओं के लिए बने कानूनों में समाज सुधार का कोई कानून बना हो, यह पता करना मुश्किल काम है. सही समाज सुधार वाले कानून तब बनते जब संसद को लोकतांत्रिक तरीके से चलाया जाता. इस दौरान विपक्ष की आवाज को बंद करने का काम तो किया ही गया, सत्तापक्ष के सांसदों को भी किसी बिल या सामाजिक सरोकार के मुद्दे पर बोलने का मौका नहीं मिला.

एक तरह से नरेंद्र मोदी की भारी बहुमत वाली सरकार का शासन वैसा ही रहा जैसा रामराज में था. बिना अपनी बात रखने का मौका दिए सीता का निष्कासन हुआ. लक्ष्मण को मृत्युदंड दिया गया. बिना भाइयों की मौजूदगी के राम का राज्याभिषेक करने की चेष्टा की गई. श्रवण कुमार की हत्या के लिए राजा दशरथ ने कोई दंड नहीं भोगा. शंबूक के वेद कंठस्थ करने पर दंड देने के लिए कोई पूछताछ नहीं की गई.

Esta historia es de la edición December First 2024 de Sarita.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

Esta historia es de la edición December First 2024 de Sarita.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

MÁS HISTORIAS DE SARITAVer todo
अच्छा लगता है सिंगल रहना
Sarita

अच्छा लगता है सिंगल रहना

शादी को ले कर लड़कियों में पुराने रूढ़िगत विचार नहीं रहे. जौब, सैल्फ रिस्पैक्ट, बराबरी ये वे पैमाने हैं जिन्होंने उन्हें देर से शादी करने या नहीं करने के औप्शन दे डाले हैं.

time-read
10 minutos  |
December First 2024
मां के पल्लू से निकलें
Sarita

मां के पल्लू से निकलें

पत्नी चाहती है कि उस का पति स्वतंत्र व आत्मनिर्भर हो. ममाज बौयज पति के साथ पत्नी खुद को रिश्ते में अकेला और उपेक्षित महसूस करती है.

time-read
4 minutos  |
December First 2024
पोटैशियम और मैग्नीशियम शरीर के लिए कितने जरूरी
Sarita

पोटैशियम और मैग्नीशियम शरीर के लिए कितने जरूरी

जिन लोगों को आहार से मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे अति आवश्यक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते और शरीर में इन की कमी हो जाती है, उन में कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है.

time-read
8 minutos  |
December First 2024
क्या शादी छिपाई जा सकती है
Sarita

क्या शादी छिपाई जा सकती है

शादी का छिपाना अब पहले जैसा आसान नहीं रहा क्योंकि अब इस पर कानूनी एतराज जताए जाने लगे हैं. हालांकि कई बार पहली या दूसरी शादी की बात छिपाना मजबूरी भी हो जाती है. इस की एक अहम वजह तलाक के मुकदमों में होने वाली देरी भी है जिस के चलते पतिपत्नी जवान से अधेड़ और अधेड़ से बूढ़े तक हो जाते हैं लेकिन उन्हें तलाक की डिक्री नहीं मिलती.

time-read
6 minutos  |
December First 2024
साइकोएक्टिव ड्रग्स जैसा धार्मिक अंधविश्वास
Sarita

साइकोएक्टिव ड्रग्स जैसा धार्मिक अंधविश्वास

एक परिवार सायनाइड खा लेता है, एक महिला अपने लड्डू गोपाल को स्कूल भेजती है, कुछ बच्चे काल्पनिक देवताओं को अपना दोस्त मानते हैं. इन घटनाओं के पीछे छिपा है धार्मिक अंधविश्वास का वह असर जो मानव की सोच व व्यवहार को बुरी तरह प्रभावित करता है.

time-read
7 minutos  |
December First 2024
23 नवंबर के चुनावी नतीजे भाजपा को जीत पर आधी
Sarita

23 नवंबर के चुनावी नतीजे भाजपा को जीत पर आधी

जून से नवंबर सिर्फ 5 माह में महाराष्ट्र व झारखंड की विधानसभाओं और दूसरे उपचुनावों में चुनावी समीकरण कैसे बदल गया, लोकसभा चुनावों में मुंह लटकाने वाली पार्टी के चेहरे पर मुसकान आ गई लेकिन कुछ काटे चुभे भी.

time-read
10+ minutos  |
December First 2024
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
Sarita

1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा

क्या कानून हमेशा समाज सुधार का रास्ता दिखाते हैं या कभीकभी सत्ता के इरादों का मुखौटा बन जाते हैं? 2014 से 2024 के बीच बने कानूनों की तह में झांकें तो भारतीय लोकतंत्र की तसवीर कुछ अलग ही नजर आती है.

time-read
8 minutos  |
December First 2024
अदालती पेंचों में फंसी युवतियां
Sarita

अदालती पेंचों में फंसी युवतियां

आज भी कानून द्वारा थोपी जा रही पौराणिक पाबंदियों और नियमकानूनों के चलते युवतियों का जीवन दूभर है. मुश्किल तब ज्यादा खड़ी हो जाती है जब कानून बना वाले और लागू कराने वाले असल नेता व जज उन्हें राहत देने की जगह धर्म का पाठ पढ़ाते दिखाई देते हैं.

time-read
8 minutos  |
December First 2024
"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
Sarita

"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली

'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.

time-read
3 minutos  |
November Second 2024
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
Sarita

पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों

पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.

time-read
7 minutos  |
November Second 2024