कारोबार का काम अधिक से अधिक मुनाफा कमाना ही नहीं रह गया है। उसका काम शेयरधारकों और सभी हितधारकों के लिए लाभ की स्थिति तैयार करना, कंपनी की दीर्घकालिक और लगातार सफलता को बढ़ावा देना तथा समाज हित में योगदान करना है। कारोबार या व्यवसाय अब काफी जटिल हो गया है। डिजिटल क्रांति, साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई), कर्मचारियों की भर्ती एवं उन्हें अपने साथ बनाए रखना, जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीति हाल में सामने आए ऐसे कुछ मसले हैं, जिन पर कंपनियों के निदेशक मंडलों (बोर्ड) को ध्यान देना चाहिए। बोर्ड समस्याओं और मसलों की इस लगातार बढ़ती सूची से बोर्ड समितियों के जरिये निपटते हैं। समितियों की मदद से उन्हें व्यापक समझ वाले निर्णय लेने में मदद मिलती है। इनमें कुछ समितियां निगरानी (ऑडिट समिति) और कुछ सलाह-मशविरे (तकनीकी समिति) के लिए होती हैं ताकि कंपनियों का काम अच्छी तरह चल सके।
पिछली बार की गई गिनती के मुताबिक बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर सूचीबद्ध कंपनियों में कुल 626 समितियां थीं। इनमें ज्यादातर समितियों के नाम अलग-अलग थे मगर उनके काम का जिम्मा और अधिकार एक जैसे ही थे। जैसे आईटी स्टीयरिंग कमेटी, आईटी स्ट्रैटजी कमेटी, आईटी स्टीवर्डशिप कमेटी, आईटी स्ट्रैटजी ऐंड डिजिटल पेमेंट कमेटी और इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स सिक्योरिटी कमेटी आदि। अन्य समितियां खास कामों के लिए बनाई गई थीं, जैसे कानूनी एवं गैर-निष्पादित परिसंपत्ति पुनर्गठन समिति, सरकार की ओर से यूरिया खरीदने के लिए अधिकार प्राप्त समिति या शेयर आवंटन समिति शामिल हैं। एक बार शेयर आवंटन होने या यूरिया की खरीदारी होने पर कुछ समितियां संभवतः बंद हो जाएंगी मगर पर्यावरण, सामाजिक और संचालन समिति जैसी समितियां चलती रहेंगी।
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