शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उल्लेखनीय वृद्धि के बाद हालात अपेक्षाकृत शांत नजर आ रहे हैं। हाल के दिनों में सामने आए आंकड़े मिलाजुला संदेश दे रहे हैं- कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक। कुछ में सुधार होता नजर आता है और कुछ में गिरावट। इस बीच सभी आंकड़ों में श्रेष्ठ यानी जीडीपी वृद्धि के आंकड़ों की अपनी जटिलताएं हैं। इसकी बात करें तो सही मूल्य अपस्फीति और सरकारी सब्सिडी में उतार-चढ़ाव को लेकर इस पर भी सवाल होते हैं। इन बातों के चलते देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि के बारे में सही आंकड़े हासिल कर पाना मुश्किल होता है।
हम इस दिक्कत को दूर करने के लिए कोशिश करते हैं कि उन सभी क्षेत्रों को शामिल किया जाए जिनके आंकड़े विश्वसनीय हैं और जल्दी तथा मासिक तौर पर उपलब्ध हैं। हम वृद्धि के 100 संकेतकों को एक साथ लाते हैं और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन (कृषि, उद्योग और सेवा), तथा व्यय (खपत, निवेश और निर्यात) के स्तर पर परखते हैं। हम सावधानीपूर्वक हर संकेतक की तिमाही गति का आकलन करते हैं ताकि ताजा रुझानों के बारे में जान सकें। उपलब्ध व्यापक आंकड़ों को देखते हुए इनसे वृद्धि के रुझानों की एक व्यापक तस्वीर सामने आनी चाहिए।
हम हर क्षेत्र को जीडीपी में उसकी हिस्सेदारी के अनुसार आंकते हैं ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि अर्थव्यवस्था का कितना भाग या अर्थव्यवस्था में क्षेत्र विशेष का कितना भाग तेजी से विकसित हो रहा है। साथ ही यह भी कि अर्थव्यवस्था का कितना हिस्सा या कौन सा क्षेत्र धीमी गति से विकसित हो रहा है।
हम पाते हैं कि अर्थव्यवस्था का 55 फीसदी हिस्सा तेजी से विकसित हो रहा है जबकि 45 फीसदी का विस्तार नहीं हो रहा है। एक तिमाही पहले करीब 65 फीसदी अर्थव्यवस्था विकसित हो रही थी। अब उसके 55 फीसदी हो जाने ने रुझानों पर असर डाला है।
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