उत्तर प्रदेश में औद्योगिक एवं निवेश नीति पर देश-विदेश के उद्यमियों का कैसा रुख है?
योगी आदित्यनाथ सरकार ने आईटी/आईटीईएस, डेटा केंद्र, ईएसडीएम (इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग), रक्षा तथा वैमानिकी, इलेक्ट्रिक वाहन, वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स, पर्यटन, वस्त्र, एमएसएमई एवं अन्य क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए 27 से अधिक नीतियां आरंभ की हैं। औद्योगिक निवेश एवं रोजगार संवर्द्धन नीति 2022 के तहत 1.58 लाख करोड़ रुपये निवेश के 89 प्रस्ताव आए हैं, जिनमें से करीब 24,314 करोड़ रुपये के 36 आवेदनों को मंजूरी दी गई है।
उत्तर प्रदेश इकलौता राज्य है, जिसने फॉर्च्यून ग्लोबल 500 और फॉर्च्यून इंडिया 500 कंपनियों से निवेश प्राप्त करने के मकसद से विशेष प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति का ऐलान किया है। इस नीति के तहत पूंजी सब्सिडी के साथ अग्रिम भूमि सब्सिडी, राज्य जीएसटी की विशुद्ध वापसी, आईटीसी की वापसी, स्टांप शुल्क और पंजीकरण में 100 फीसदी छूट और बिजली शुल्क में भी 100 फीसदी छूट आदि दी जाती हैं।
इस नीति के तहत प्रदेश सरकार को 13,300 करोड़ रुपये से भी अधिक रकम के 16 आवेदन मिले हैं, जिनमें से 1,898 करोड़ रुपये से अधिक के 5 आवेदनों को अग्रिम भूमि सब्सिडी की मंजूरी दे दी गई है। प्रदेश की वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स नीति 2022 के तहत भी 6987 करोड़ रुपये के 84 प्रस्ताव मिले हैं, जिनमें से 662 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव वाले 12 आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है।
औद्योगिक विकास के लिए उत्तर प्रदेश सरकार एकदम कमर कसकर काम कर रही है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में विभिन्न औद्योगिक योजनाओं के तहत 32 कंपनियों को 1,333.05 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि बांटी है। इस वितरण से निवेशकों और उद्योगों में सरकार की मंशा और नीतियों के प्रति भरोसा बढ़ा है। वितरण के दौरान बुंदेलखंड और पूर्वांचल क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है, जहां से 4,153 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। पश्चिमी क्षेत्र से 3,714 करोड़ रुपये और मध्य क्षेत्र से 2,847 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए। आईटी एवं आईटीईएस नीति 2022 के तहत सैमसंग और एचसीएल जैसी कंपनियों को 212.63 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन मिले।
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