कुछ समय पहले नेटफ्लिक्स पर ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शर्मा शो’ में दो अस्वाभाविक मेहमान नजर आए: इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति और जोमैटो के संस्थापक-सीईओ दीपिंदर गोयल। दोनों के साथ उनकी पत्नियां यानी सुधा मूर्ति और ग्रेसिया मुनोज भी मौजूद थीं।
मूर्ति और गोयल को देश के टेक उद्योग में दो अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तियों के रूप में जाना जाता है और उनकी संयुक्त उपस्थिति ने देश की टेक्नॉलजी को परिभाषित करने वाले दो युगों को प्रतीकात्मक रूप से जोड़ने का काम किया। एक युग वह जिसने देश की आईटी क्रांति की आधारशिला रखी और दूसरा वह जिसने इसे डिजिटल युग को गति दी। विगत 25 वर्षों में देश का तकनीकी क्षेत्र पूरी तरह बदल चुका है। वर्ष 2000 के दौर की आउटसोर्सिंग से बढ़ता हुआ अब वह तकनीकी नवाचार एवं उद्यमिता का केंद्र बन गया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इसकी शुरुआत सदी में बदलाव के समय हुआ, जब देश के आईटी सेवा उद्योग को असाधारण गति मिली क्योंकि दुनिया भर के कंप्यूटर एक खास दिक्कत से जूझ रहे थे जिसका नाम था वाई2के यानी ‘वर्ष 2000’ की समस्या।
आशंका यह थी कि जब वर्ष 1999 से दुनिया सन 2000 में प्रवेश करेगी तो कंप्यूटर ‘00’ को 1900 समझ लेंगे। इससे बैंकिंग समेत कंप्यूटर आधारित उद्योगों में हड़कंप मच गया। इसकी बुनियादी वजह यह थी कि कंप्यूटर प्रोग्रामरों ने ऐतिहासिक रूप से वर्षों को दर्शाने के लिए दो ही अंक का इस्तेमाल किया था। हैपिएस्ट माइंड्स टेक्नॉलॉजीज के कार्यकारी वाइस प्रेसिडेंट जोसेफ अनंतराजू याद करते हैं कि कैसे अनुमान लगाया जा रहा था कि वाई2के की दिक्कत में सुधार लाने के लिए 300 से 600 अरब डॉलर की राशि का खर्च आएगा और दुनिया भर में करीब 10 लाख डेवलपरों को इस पर काम करना होगा।
देश का आईटी क्षेत्र अभी भी शुरुआती चरण में था और उसे एक अवसर मिला जिसका उसने फायदा उठाया। देश में आईटी क्षेत्र की प्रतिभाओं की बाढ़ थी और वे पश्चिमी देशों के आईटी पेशेवरों की तुलना में अधिक किफायती थे। साथ ही वे कोबोल नामक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में भी दक्ष थे जिसका उपयोग पश्चिम में कम हो चुका था। वाई2के के आसन्न संकट के बीच दुनिया को अचानक कोबोल के जानकारों की जरूरत पड़ी। भारत के सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार थे। रातोरात उनकी मांग बढ़ गई।
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संगम किनारे महाकुंभ में मिलेगी लग्जरी डॉरमिटरी
महाकुंभ में प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों को संगम तट पर रुकने के लिए उच्च सुविधायुक्त डॉरमिटरी की व्यवस्था मिलेगी।
एनपीएस वात्सल्य का हो रहा प्रसार
पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के चेयरमैन दीपक मोहंती ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) को सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए सुलभ बनाने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा कि नाबालिगों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हाल में शुरू की गई एनपीएस वात्सल्य योजना की प्रगति अच्छी है और इस वर्ष सितंबर में शुरू किए जाने के बाद से अब तक योजना से 75,000 लोग जुड़ चुके हैं।
प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण ढांचे में सुधार की मांग
पीएसएल आवंटन में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विभिन्न क्षेत्रों के बदलते योगदान और उनके विकास की क्षमता नजर आनी चाहिए। उदाहरण के लिए 1990 के दशक में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा 30 प्रतिशत था, जो अब 14 प्रतिशत रह गया है, जबकि इसका पीएसएल आवंटन 18 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बना हुआ है।
बाजार में गिरावट के बीच फंडों ने बैंकों और आईटी में बढ़ाया निवेश
कई डाइवर्सिफाइड फंडों के पोर्टफोलियो के कुल निवेश आवंटन में इनका योगदान करीब 30 फीसदी पहुंच गया है
अधिग्रहण से मेट्रोपॉलिस को मिलेगी ताकत ऑन्कोलॉजी बाजार में बढ़ जाएगी हिस्सेदारी
मेट्रोपॉलिस हेल्थकेयर (एमएचएल) ने गुरुग्राम की कोर डायग्नॉस्टिक्स में 247 करोड़ रुपये में 100 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का निर्णय लिया है। यह सौदा वित्त वर्ष 2023-24 की उद्यम वैल्यू (ईवी)/बिक्री का करीब 2.2 गुना और वित्त वर्ष 2026 के ईवी/एबिटा के 14 गुना पर हुआ है।
निफ्टी के 22 हजार से नीचे जाने का खतरा
शुक्रवार को 200-डीएमए से नीचे बंद हुआ, अब छू सकता है 50-डब्ल्यूएमए का स्तर
स्वतंत्र निदेशकों को अधिक भुगतान कर रहीं कंपनियां
कंपनियों का अपने निदेशकों को दिए जाने वाला भुगतान बड़ा मुद्दा बन गया है, क्योंकि निदेशक मंडल बड़े होते जा रहे हैं, जिनमें स्वतंत्र निदेशकों और गैर-कार्यकारी निदेशकों की संख्या बढ़ रही है।
नवंबर तक 14% बढ़ा वीसी निवेश
6.5 अरब डॉलर के साथ प्रौद्योगिकी क्षेत्र की रही सबसे ज्यादा हिस्सेदारी
'वाई 2 के' से एआई की लहर तक
वर्ष 2024 के समापन के साथ ही सदी के पहले 25 साल पूरे हो रहे हैं। इस श्रृंखला में बीते 25 साल में भारत की प्रगति और भविष्य की दिशा की पड़ताल करेंगे। श्रृंखला की पहली किस्त में हम आईटी में भारत की महारत पर नजर डालेंगे जो 2000 के बाद अचानक दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गई...
मोदी को कुवैत का सर्वोच्च सम्मान
कुवैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च सम्मान 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से रविवार को सम्मानित किया।