कालजयी हैं तुलसीदास जी
Jyotish Sagar|August 2023
लोकमंगल की भावना से तुलसी ने भक्ति, ज्ञान और कर्म की ऐसी त्रिधारा बहाई, जिसमें गोता लगाकर मन को शान्ति और आनन्द मिलता है। जहाँ राम हैं, वहीं तुलसी का नाम भी सहज ही स्मरण हो जाता है।
डॉ. हनुमान प्रसाद उत्तम
कालजयी हैं तुलसीदास जी

भारतीय वाङ्मय में संकल्प ही साधन प्राप्ति का आधार है। वह साधन चाहे ईश्वर से साक्षात्कार का हो या फिर नैतिक मूल्यों की स्थापना का। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की साधना के बूते राम को तो पाया ही, साथ ही, समस्त लोक के कल्याण के लिए ऐसे आदर्शवादी सिद्धान्त और सूक्ष्म सूत्र गढ़े, जो सामाजिक मर्यादा के थाती बन गए।

उत्तरआधुनिक आधुनिक आधुनिकतावादी दौर में रामकथा के अधिकारी जब तुलसी की दृष्टि से त्रेता का इतिहास देखने की कोशिश करते हैं, तब राम की सीता और जगत् को धारण करने वाली पृथ्वी में भेद नहीं रह जाता। तुलसी मानस के वो घाट हैं, जहाँ से होकर गुजरने वाली भक्ति, ज्ञान और कर्म की त्रिवेणी से कोई भी अधम आसानी से भवसागर पार हो सकता है। तुलसी का रामचरितमानस अतीत का चित्र ही नहीं, वर्तमान का दर्पण भी है। तुलसी के पास राम को जानने के लिए विवेक गुरु कृपा से आया, लेकिन फिर भी राम तक पहुँचने का मन, पाने के लिए उन्हें सुमिरन करना पड़ा। रामचरितमानस में एक युग के इतिहास को जीने वाले तुलसी दास के पात्र आदर्श परिवार, समाज के लिए पत्थर की लकीर बन जाते हैं। जागृत भक्ति में तुलसी कहीं एक तरफ मंच पर खड़े नजर नहीं आते।

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