इसके बिना पूर्ण स्वस्थता सम्भव नहीं
रोग २ शरीरों में होते हैं - बाह्य शरीर में और आंतरिक शरीर (मनःशरीर, प्राणशरीर) में । उपचार बाहरी शरीर के होते हैं और रोग मनःशरीर, प्राणशरीर में होते हैं। आंतरिक शरीर का इलाज नहीं हुआ तो रोग पूर्णरूप से ठीक नहीं होता और लम्बे समय तक रहता है । 'मलेरिया ठीक हो गया...' फिर से मलेरिया हो जाता है। ऐसे ही कई बीमारियाँ थोड़ी । ठीक हुईं लेकिन फिर दूसरा रूप ले लेती हैं, २-५ साल में फिर से उभर आती हैं। कइयों दवाइयों के रिएक्शन (दुष्प्रभाव) को भी होते हैं। तो आंतरिक शरीर को रोग तोड़ देता है और चिकित्सा बाहर के शरीर की होती है इसलिए वे प्रयास विफल हो जाते हैं।
Esta historia es de la edición May 2023 de Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
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समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।