शाश्वत सुख दिलाने व निजस्वरूप में जगाने की व्यवस्था है यह पर्व
Rishi Prasad Hindi|June 2023
गुरुपूर्णिमा को व्यासपूर्णिमा और आषाढ़ी पूर्णिमा भी कहते हैं । यह व्रत पूर्णिमा भी है। कुछ व्रत होते हैं, कुछ उत्सव होते हैं परंतु गुरुपूर्णिमा व्रत और उत्सव - दोनों का दिवस है।
 पूज्य बापूजी
शाश्वत सुख दिलाने व निजस्वरूप में जगाने की व्यवस्था है यह पर्व

गुरुपूर्णिमा लघु चीजों से ममता हटाकर 'गुरु' माने ऊँची चीज, महान चीज पाने की प्रेरणा देने को, गुरु-तत्त्व का प्रसाद जगाने को आयी है, गुरु के अनुभव को शिष्य का अनुभव बनाने का मार्गदर्शन देने और अज्ञान-अंधकार मिटाकर आत्मप्रकाश करने के लिए आयी है। बीते हुए का शोक न करो, भविष्य का भय न करो और वर्तमान में आसक्त न होओ; वर्तमान में अपने विशुद्ध स्वरूप का प्रसाद पाकर निर्दुःख नारायण की नाईं जियो यह मार्ग बताने को गुरुपूर्णिमा आयी है।

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