महाराजजी बोले : "मोह मिटाने से नहीं मिटता है। यदि घर में अँधेरा हो तो उसको कितना भी साबुन घिसकर धोओ और हाथ जोड़ के कहो कि ‘अँधेराजी ! तुम मिट जाओ।' तो अँधेरा नहीं मिटता है। उसके लिए तो दीपक जलाने की आवश्यकता होती है। जब घर में दीया जलाओगे तो अँधेरा अपने-आप ही मिट जायेगा। इसलिए आपका जो मोह है उसको भगवान के साथ जोड़ दीजिये। बेटे के साथ मोह है तो बोलिये कि 'भगवान ही हमारे बेटे हैं।' मातापिता के साथ मोह है तो कहिये कि 'भगवान ही हमारे माता-पिता हैं।' धन से मोह है तो बोलिये कि 'भगवान ही हमारे धन हैं।' इस प्रकार जैसा मोह संसार में है वैसा ही मोह भगवान के साथ कर लो।
कामिहि नारि पिआरि जिमि लोभिहि प्रिय जिमि दाम।
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