आत्मशिव को कैसे पायें?
Rishi Prasad Hindi|February 2024
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: न मां दुष्कृतिनो मूढाः प्रपद्यन्ते नराधमाः ।...
पूज्य बापूजी
आत्मशिव को कैसे पायें?

"जो मनुष्यों में अधम हैं वे मुझ आत्मशिव को, आत्मकृष्ण को नहीं भजते हैं क्योंकि माया ने उनका ज्ञान हर लिया है।" 

‘यह पाऊँ, वह पाऊँ... ' पहले जो था नहीं, वह मिलेगा तो भी छूट जायेगा। पहले जो था, अभी है, बाद में रहेगा उसको तो सहज में पा सकते हैं। लेकिन जो सहज में पा सकते हैं और जिसे खोने का भय नहीं, उधर को जो नहीं जाते, उनकी बुद्धि मारी गयी है। और वे धनभागी हैं जिनकी बुद्धि में भगवान और सत्संग का महत्त्व है। वे भगवान का रस, ज्ञान, आनंद पाते हैं और भगवान शाश्वत हैं तो उस शाश्वतता में एकाकार हो जाते हैं; कुछ बनते नहीं हैं, जो है उसको जान लेते हैं।

माययापहृतज्ञाना आसुरं भावमाश्रिताः ।। (गीता : ७.१५)

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