११ दिसम्बर को मोक्षदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है:
युधिष्ठिर ने पूछा: "माधव! मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है और उसका क्या फल है?"
भगवान श्रीकृष्ण बोले: "युधिष्ठिर! इस एकादशी का नाम 'मोक्षा (मोक्षदा)' है। यह बड़े-बड़े पातकों का नाश करनेवाली है। नरकों में जो पितर दुःख भोग रहे होते हैं, इस एकादशी का व्रत करके उनको पुण्य अर्पण करने से उनकी सद्गति होती है और वे कुल-खानदान को आशीर्वाद देते हैं, मददरूप होते हैं। इस एकादशी का व्रत करनेवाला अपने पापों, रोगों, कुविचारों का शमन करता है।
पूर्वकाल की बात है। चम्पक नगर का राजा वैखानस बड़ा शूरवीर, कर्मठ, सत्संगी तथा प्रजा का पुत्र की भाँति पालन करनेवाला था। साधु-संतों, ब्राह्मणों, श्रेष्ठ पुरुषों में आदरबुद्धि रखना उसका स्वभाव था। एक प्रभात को राजा ने सपना देखा कि उसके माता-पिता, दादा-दादी आदि पितर नरकों में दुःखी हो रहे हैं।
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
एकादशी माहात्म्य - मोक्षदा एकादशी पर विशेष
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(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।