आरोग्य, अध्यात्म, पर्यावरण रक्षा व सद्गति का अमृतस्रोत
Rishi Prasad Hindi|December 2024
हर मनुष्य चाहता है : (१) शारीरिक स्वास्थ्य (२) मानसिक स्वास्थ्य (३) बौद्धिक विकास (४) आर्थिक सम्पन्नता (५) आध्यात्मिक उन्नति (६) पारिवारिक सुख-शांति (७) सद्गति, मोक्ष या पारलौकिक ऊँची गति।
आरोग्य, अध्यात्म, पर्यावरण रक्षा व सद्गति का अमृतस्रोत

मनुष्य की इन माँगों को पूरा करने में मददरूप माता तुलसी प्रकृति का अनमोल उपहार हैं। आध्यात्मिक ऊर्जा एवं आरोग्यवर्धक गुणों से परिपूर्ण तुलसी घर में लगते ही वातावरण को आध्यात्मिक स्पंदनों से भर देती है तथा कई जीवाणुओं एवं रोगाणुओं का नाश कर देती है। वातावरण की स्वच्छता एवं पवित्रता, प्रदूषण का शमन, घर-परिवार के सदस्यों की नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा और उनकी आरोग्यता की जड़ें मजबूत करना आदि अनेक लाभ तुलसी से होते हैं।

शास्त्रों में है तुलसी की अद्भुत महिमा

नारद पुराण में श्री सनकजी कहते हैं : "जिस घर में तुलसी पूजित होती हैं वहाँ प्रतिदिन सब प्रकार के श्रेय की वृद्धि होती है।"

ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान नारायण कहते हैं: "परम साध्वी तुलसी पुष्पों में सार हैं। ये पूजनीया तथा मनोहारिणी हैं। सम्पूर्ण पापरूपी ईंधन को भस्म करने के लिए ये प्रज्वलित अग्नि की लपट के समान हैं।"

स्कंद पुराण में ब्रह्माजी कहते हैं : "यदि कोई तुलसी-संयुक्त जल में स्नान करता है तो वह सब पापों से मुक्त हो भगवान विष्णु के लोक में आनंद का अनुभव करता है। जो लगाने के लिए तुलसी का संग्रह करता है और लगा के तुलसी का वन तैयार कर देता है वह उतने से ही पापमुक्त हो ब्रह्मप्राप्ति का अधिकारी हो जाता है।"

अगस्त्य संहिता के अनुसार "तुलसी-वन के चारों ओर एक कोस (३.२ किलोमीटर) तक का स्थान गंगाजल के समान पवित्र हो जाता है।”

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