कोई भी देश या राज्य तभी उन्नति करता है जब कि वहां की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो, साथ ही उसे संवैधानिक रूप से सभी अधिकार दिए गए हों जिससे वह स्वयं को सुरक्षित और आत्मनिर्भर महसूस कर सके । इसी ओर, छत्तीसगढ़ राज्य में पिछले कुछ समय से महिलाओं के पूर्ण विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मसलन, उनकी शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, मूलभूत अधिकार और आर्थिक निर्भरता इत्यादि पर कई सफल योजनाएं बनाई गई हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर महिलाओं की रचनात्मक क्षमता को बढ़ाने के साथ उनकी सृजन क्षमता को स्थानीय संसाधनों के साथ जोड़ा है।
छत्तीसगढ़ में महिलाओं का संपूर्ण विकास हो रहा है इसका सबसे सफल उदाहरण यह है कि पूरे देश में छत्तीसगढ़ एक मात्र ऐसा राज्य है जहां लैंगिक समानता सबसे ज्यादा है। नीति आयोग द्वारा जारी वर्ष 2020-2021 की इंडिया इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार लैंगिक समानता में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है। इसका मुख्य कारण है सरकार द्वारा राज्य में माता और शिशु के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना, परिणामस्वरूप वर्ष 2016 से 2018 के बीच छत्तीसगढ़ का एमएमआर 159 से घटकर 137 पर पहुंच गया है। यहां तक कि कुपोषण और एनीमिया के मामलों में काफी कमी आई है। वर्ष 2019 में 2 अक्टूबर से शुरू हुए 'मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान' से अब तक 2 लाख 65 हजार बच्चे कुपोषण मुक्त हो चुके हैं और एक लाख 50 लाख महिलाएं एनीमिया मुक्त हो चुकी हैं। वहीं 'एनीमिया मुक्त भारत अभियान' के अंतर्गत बच्चों, किशोरों, गर्भवती तथा शिशुवती महिलाओं को नियमित रूप से आईएफए (आयरन फोलिक एसिड) सप्लीमेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिसमें भी छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है।
महिलाओं को मिल रहीं बैंकिंग सुविधाएं
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