'यह शहर है अमन का यहां की फिजां है निराली यहां तो बड़ी शांतिशांति है....'
यह भले ही किसी फिल्म का गीत हो, पर वास्तव में शहर की भीड़भाड़, चिल्लपौं और भागदौड़ से यहां शांति नहीं मिलती. तभी तो न संगीता को शहर में न तो शांति मिली और न ही अमनचैन.
संगीता की शादी को अभी 3 महीने भी नहीं गुजरे होंगे, मगर उसे देख कर ऐसा लगता है जैसे वह काफी समय से बीमार हो. एक दिन जब संगीता से उस का हालचाल पूछा, तो वह फूट पड़ी. बहुत दुखी मन से उस ने बताया कि छोटे कसबे में सब मिलजुल कर रहते थे, बड़ा मन लगता था, लेकिन जब से बड़े शहर में आई हूं यहां बोरियत ही बोरियत महसूस कर रही हूं.
दरअसल, जब पत्नी छोटे शहर से अपने पति के साथ लंबी दूरी तय करने के बाद किसी बड़े शहर में आती है, तो कुछ दिनों तक तो शहर की चकाचौंध देख कर वह बहुत खुश रहती है, पर जैसेजैसे समय बीतता है उस में उबाऊपन बढ़ता ही जाता है खासकर उन में जिन की नई नई शादी हुई हो.
अब सवाल उठता है कि आखिर दुलहनों में इस तरह का उबाऊपन क्यों बढ़ रहा है ? नईनवेली दुलहनों के लिए उबाऊपन तब और ज्यादा बढ़ जाता है जब शहर में उन को एक कमरे के डब्बाबंदनुमा फ्लैट में रहना पड़ता है. यहां दूरदूर तक न तो कोई सगेसंबंधी होते हैं और न ही कोई करीबी दोस्त औफिस जाते समय पति तो यह कह देता है कि मोबाइल पर बात करो, टीवी देखो, खाओपीओ और अपनेआप को व्यस्त रखो, लेकिन स्वस्थ मस्तिष्क के लिए अच्छा वातावरण और मनोरंजन का होना भी तो जरूरी होता है.
सच तो यह है
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