"जा ले हैं दिमागों में उन्हें साफ हो जाने तो दें, खोल दें सब खिड़कियां ताजा हवा आने तो दें, गुल तरक्की के खिलेंगे सिर्फ तब ही चमन में, सोच जो बासी है उसे सिरे से जाने तो दें. "
तरक्की के बावजूद बरकरार दकियानूसी सोच के बारे में ये लाइनें मौजूं लगती हैं. कम पढ़े लोग अकसर धर्म के धंधेबाजों के ज्यादा व जल्दी शिकार होते हैं, लेकिन कई बार पढ़ेलिखे शहरी, अमीर भी अकसर इन पोंगापंथियों के झांसे से नहीं बच पाते. नतीजतन तरहतरह की ऊटपटांग हरकतें देश के ज्यादातर हिस्सों में अकसर होती रहती हैं.
मसलन, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मनचाहे वक्त पर डिलिवरी कराने वालों की बाढ़ सी आ गई है. बहुत से लोग बच्चों की तकदीर बदल कर उन्हें बेहतर बनाने की गरज से उन को पैदा कराने में अपनी मनमानी कर रहे हैं. आमतौर पर करीब 39 हफ्ते पेट में रहकर कुदरतन बच्चा पैदा होता है. इस से पहले बच्चे की बनावट पूरी नहीं हो पाती, लेकिन बहुत से लोग शुभअशुभ, भाग्य व ग्रहचाल आदि अंधविश्वासों में फंस कर अब इस की अनदेखी करने लगे हैं.
मुहूर्त से क्या फायदा
जन्म का शुभ मुहूर्त निकलवा कर उस के मुताबिक औपरेशन कराना व बच्चे की पैदाइश में बदलाव करना खतरे व नुकसान को न्योता देना है. मसलन, आम प्रसव के मुकाबले सीजेरियन से चीरफाड़ कर बच्चा पैदा कराने में दोगुने खून का नुकसान होता है. फिर भी बहुतेरे लोग बच्चे को तकदीर का सिकंदर बनाने के लिए मुहूर्त के हिसाब से पैदा कराते हैं.
प्रचार के शिकार हो कर बहुत से लोग बच्चे के जन्म के वक्त सितारों की चाल जानने के लिए पंडेपुजारियों के पास जाते हैं. उन की दक्षिणा दे कर बच्चे के जन्म का शुभ मुहूर्त का ग्रहयोग निकलवाते हैं. फिर कुदरत के खिलाफ जा कर बताए गए वक्त पर डाक्टर से सीजेरियन डिलिवरी कराते हैं, लेकिन यदि बेहोशी की दवा या किसी दूसरी वजह से बच्चे या मां को किसी मुश्किल का सामना करना पड़े तो ऐसे मुहूर्त से भला क्या फायदा?
कारण
Esta historia es de la edición January Second 2023 de Grihshobha - Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición January Second 2023 de Grihshobha - Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
स्ट्रैंथ ट्रेनिंग क्यों जरूरी
इस ढकोसलेबाजी को क्यों बंद किया जाए कि जिम जाना या वजन उठाना महिलाओं का काम नहीं.....
लड़कियों को लुभा रहा फोटोग्राफी कैरियर
फोटोग्राफी के क्षेत्र में पहले केवल पुरुषों का अधिकार था, लेकिन अब इस क्षेत्र में लड़कियां भी बाजी मारने लगी हैं....
समय की मांग है डिजिटल डिटौक्स
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल रहने के लिए बौडी डिटोक्स के साथ डिजिटल डिटौक्स भी जरूरी है....
पीरियडस क्या खाएं क्यो नहीं
मासिकधर्म के दौरान क्या खाना सही रहता है और क्या गलत, यहां जानिए...
पतिपत्नी रिश्ते में जरूरी है स्पेस
जरूरत से ज्यादा रोकटोक रिश्ते की मजबूती को बिगाड़ सकती है. ऐसे में क्या करें कि ताउम्र खुशहाल रहें....
औफिस के पहले दिन ऐसे करें तैयारी
औफिस में पहला दिन है, जानें कुछ जरूरी बातें....
क्या है अटेंशन डेफिसिट हाइपर ऐक्टिविटी डिसऑर्डर
क्या आप का बच्चा जिद्दी है, बातबात पर तोड़फोड़ करता है और खुद को नुकसान पहुंचा लेता है, तो जानिए वजह और निदान....
जब मन हो मंचिंग का
फ़ूड रेसिपीज
सेल सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी
अगर आप भी सस्ते के चक्कर में खरीदारी करने का शौक रखते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है....
डाइट के लिए बैस्ट है पिस्ता
पिस्ता सिर्फ एक गार्निश नहीं, एक न्यूट्रिशन पावरहाउस है....