ऐसा समय भी था जब केवल पुरुष ही कार या बाइक चलाते थे. महिलाएं कार या बाइक नहीं चलाती थीं, लेकिन बदलते समय के साथसाथ अब केवल पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी ड्राइविंग सीट पर हैं. आंखें पुरुषों से अधिक सेफ ड्राइविंग करती हैं.
आज की महिलाएं शिक्षा के साथसाथ ड्राइविंग को भी महत्त्व देने लगी हैं क्योंकि यह उन की स्टाइल स्टेटमैंट बन चुकी है. आज महिलाएं आत्मनिर्भर हैं, उन्हें कहीं जानेआने, रिश्तेदारों, दोस्तों से मिलने या शौक से भी ड्राइविंग करती हैं. इतना ही नहीं अब महिला ड्राइवर्स टैक्सी और बसें चला कर पैसे भी कमा रही हैं. महिला ड्राइवर के साथ कहीं आनेजाने में बुजुर्ग या लड़कियां खुद को सुरक्षित भी मानती हैं क्योंकि दिन हो या रात किसी इमरजैंसी में महिला ड्राइवर के साथ किसी को भी कही जाने में परहेज नहीं होता.
मुंबई के एक पौश एरिया में रहने वाली सुधा के पति की आधी रात को अचानक तबीयत बिगड़ गई. उस ने औनलाइन कार खोजने की कोशिश की, लेकिन कहीं कार नहीं मिली, फिर वह खुद उन्हें ड्राइव कर हौस्पिटल ले गई जहां उन्हें तुरंत इलाज मिला. इस के अलावा कभी बच्चों की स्कूल बस मिस होने या अन्य किसी इमरजैंसी में हमेशा ही महिलाएं कार, स्कूटी ड्राइव कर उस काम को समय से कर सकती हैं.
महिलाएं करती हैं सेफ ड्राइविंग
एक रिपोर्ट के अनुसार भीषण हादसों का शिकार होने वाले ड्राइवरों में महिलाएं सिर्फ 3% ही हैं. सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में 56,334 (97.3%) पुरुष व 1551 (2.7%) महिला चालकों की हादसों में मौत हुई, जबकि देश के कुल 20.58 करोड़ ड्राइवरों में से 1.39 करोड़ महिलाएं (6.76%) हैं. शोध यह भी कहता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं स्पीड लिमिट का उल्लंघन 12% कम करती हैं.
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