महिलाएं और उन के अधिकार
Grihshobha - Hindi|August Second 2024
घर हो या दफ्तर संविधान महिलाओं को कई अधिकार दिए हैं. आप भी जानिए.....
चंद्रकला
महिलाएं और उन के अधिकार

भारतीय महिलाएं भारत में हमेशा से एक दबाकुचला वर्ग रहा है. भारतीय संविधान ने चाहे भारतीय महिलाओं को समानता के हक दे दिए हों लेकिन हकीकत यह है कि आज भी घरों में उन्हें अपने अधिकारों के लिए बहस करनी पड़ती है और अपनों से ही उलझना पड़ता है.

घर हो या दफ्तर हर जगह उन के अधिकारों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं और महिलाएं कभी अज्ञानतावश तो कभी सोशल प्रैशर में आ कर उन अधिकारों की अनदेखी करनी पड़ती है, जिस के चलते वे शोषण का शिकार होती हैं. मगर कई बार महिलाओं को अपने अधिकारों का पता ही नहीं होता, जिस की वजह से वे बिना जबान खोले सबकुछ सहती चली जाती हैं. यहां हम उन्हीं कुछ अधिकारों की बात करेंगे जिन का पता एक महिला को जरूर होना चाहिए:

मैंटेनेंस यानी भरणपोषण का अधिकार

भारतीय संविधान महिलाओं को उन के भरणपोषण का अधिकार देतीं. जिस के अनुसार हर विवाहित महिला को कानूनी रूप से अपने पति से मैंटेनेंस पाने का अधिकार है, भले ही वे साथ न रह रहे हों. यह अधिकार भारत में महिलाओं के लिए हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (एचएमए) और घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (डीवीए) जैसे कानूनों द्वारा संरक्षित किया गया है.

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