Modern Kheti - Hindi - 1st September 2023
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Fishery Farming
पी.ए.यू. ने भूमि रहित काश्त में स्वदेशी हाईब्रिड हाईड्रोपोनिक्स तकनीक में नेशनल पेटैंट किया हासिल
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय को कृषि अनुसंधान के कार्यों में तब बड़ी सफलता देखने को मिली जब इसके वैज्ञानिकों की ओर से विकसित की हाईब्रिड हाईड्रोपोनिक्स तकनीक को नेशनल पेटैंट हासिल हुआ।
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आम होती महंगाई से कृषि कारोबार के उदारीकरण का सपना बिखरा
सरकार ने वर्ष 2020 में जब कृषि क्षेत्र के उत्पादों के कारोबार को आर्थिक सुधारों का जामा पहनाते हुए तीन कृषि कानूनों को लागू करने का फैसला लिया तो शायद उसे दूर-दूर तक इस बात की उम्मीद नहीं थी कि तीन वर्ष के भीतर ही देश में कृषि उत्पादों के कारोबार को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए) जैसे सख्त कानून के प्रावधानों को लागू करना पड़ेगा।
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बीज व पौधों में जैव विविधता बढ़ाने की आवश्यकता
जलवायु और भू-वैज्ञानिक इतिहास दोनों ही नव और पुरापाषाणवाद को प्रभावित करते हैं, लंबे समय में जलवायु स्थिरता पुरापाषाणवाद की गम्भीरता और समुद्री द्वीपों की अलग-अलग प्रकृति और उनके अनोखे भू-वैज्ञानिक इतिहास को नव-स्थानीयवाद को बढ़ावा देने का समर्थन करती है।
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धान का ब्राउन प्लांटहॉपर कैसे डालता है प्रभाव?
धान में खेत की परिस्थितियों में उगाया गया ब्रीडिंग स्टेशन, टीएनएयू। शोधकर्ताओं ने पर वर्णक्रमीय आकलन भी किया बीपीएच के संक्रमण के बाद पौधे।
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कांग्रेस घास: एक विदेशी खरपतवार
कांग्रेस घास मनुष्यों और पशुधन आबादी के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य खतरा है। खरपतवार के पराग कण एलर्जी पैदा करने वाले होते हैं, जिससे मनुष्यों में ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, राइनाइटिस, नेत्रश्लेष्मलाशोथ, हे फीवर, साइनसाइटिस, सामान्य सर्दी, गर्दन में दर्द और यहां तक कि अवसाद भी होता है। खरपतवार के बार-बार संपर्क में आने से जिल्द की सूजन, एक्जिमा, पैलेटोंसिस और गैंग्रीन हो जाते हैं।
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गन्ने की फसल के प्रमुख रोग, लक्षण एवं उनकी रोकथाम
गन्ने का पोक्काबोइंग रोग लक्षण: गन्ने का पोक्काबोइंग रोग, जिसे साधारण भाषा में सब्सिडी रोग भी कहा जाता है, एक पौधों का संक्रामक रोग है जो खेती की महत्वपूर्ण फसलों में पाया जाता है। यह रोग गन्ने के पौधों को प्रभावित करके उनके पत्तों, डंठलों और फूलों में कमजोरी और काले दागों का कारण बनता है।
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पशुपालन के बेहतर उपाय
पशुपालन का अभ्यास चुनौतियों और बाधाओं से भरा हुआ है। इन चुनौतियों का समाधान करके और स्थायी प्रथाओं को लागू करके, हम कृषि और पर्यावरण प्रबंधन के बीच अधिक सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। इस आलेख में इन्ही चुनौतियों के समाधान और स्थाई प्रथाओं को लागू करने संबंधी उपायों की चर्चा विस्तार में की गयी है।
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मछली पूंग तैयार करने के लिए उचित प्रबंधन
मछली पालन में अच्छा उत्पादन एवं लाभ बीज की गुणवत्ता, मछली प्रजनन की सफलता एवं ब्रूडर मछलियों के सही पालन-पोषण पर निर्भर करता है। ब्रूडस्टाक के साथ-साथ यदि मछली के बीज की सांभ-संभाल वैज्ञानिक ढंगों से न की जाये तो अधिकतर बीज नर्सरी तालाब में ही दम तोड़ देते हैं।
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एक आदर्श सोसायटी है लांबड़ा कांगड़ी सोसायटी
आर्थिक, समाजिक और कृषि की चुनौतियों को हल करने के सक्षम है यह लांबड़ा कांगड़ी की सोसायटी। ऐसी सफल और आदर्श सोसायटियां किसी बाहरले तत्व द्वारा नहीं चलाई जा रही हैं, बल्कि गाँव वासियों द्वारा गाँव के विकास के लिये चलाई जा रही हैं।
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बीज उद्योग की चटपटी खबरें (प्रथम कड़ी) महाराष्ट्र में लागू होगा ई.सी.एक्ट
बीज कानून एवं उर्वरक कानून दोनों केन्द्र के कानून हैं और राज्य इनमें कुछ भी छेड़छाड़ नहीं कर सकता। हाँ, कुछ संशोधन करने का सुझाव दे सकता है और यदि वह संशोधन हो जाता है तो महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू होगा।
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डेयरी फार्मिंग में बायपास फैट का महत्व
हरियाणा में डेयरी पशु खासकर भैंसें उच्च फैट वाले दूध का मुख्य स्रोत है। प्रारंभिक दूध उत्पादन के दौरान और शरीर के रखरखाव के लिए आवश्यक ऊर्जा की जरूरत होती है, जो आहार से उपलब्ध ऊर्जा की मात्रा से अधिक होती है जिसके कारण नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है जिस कारण शरीर के संरक्षित फैट का इस्तमाल करना पड़ता है।
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मूंगफली में पाया जाने वाला टिक्का और जड़ गलन रोग की पहचान एवं बचाव
मूंगफली तिलहनी फसलों के रुप में ली जाने वाली प्रमुख फसल है। मूंगफली की खेती मुख्य रूप से रेतीली एवं कछारी भूमियों में सफलतापूर्वक की जाती है।
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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:
Publisher: Mehram Publications
Category: Business
Language: Hindi
Frequency: Fortnightly
Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.
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