Rishi Prasad Hindi - February 2024
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In this issue
* Why is the solidarity of an organisation necessary?
* Demand for relief to Sant Asharamji Bapu to avail appropriate medical treatment of his life-threatening diseases.
* The call from a sincere heart is heard by the Supreme Lord.
* Infinite is the power of will.
* For the excellent health of Pujya Bapuji, you must chant this
* Increasing marketing in the name of ‘Valentine’s Day’, the young generation are being targeted !
* An emotional message from the Guru
* How to attain Atma-Shiva ?
* Holi: The festival of arousing the wisdom and joy of the bliss-nature Self
* Omnipotent Bapuji is a well-wisher of all beings
* Service to Guru averted an untimely death.
* Freedom from pairs of opposites and the attainment of non-duality
* His signature is effective in the entire universe.
* Success will crown your efforts.
* How to conserve Ojas of life?
* The chief means to tear down the veil of delusion – Shri HanumÍn PrasÍd PoddÍr
* Th e glory of the Gita, narrated by Sant Jnaneshwar Ji
* Where will you go running away?
* Child Purushottam’s Divine Love
* Benedictory experiential words of Saints
* The government should at least do this for Bapuji’s health
* How a boozer became an altruist ? – Pusauram Uike
* Pay attention to these points to cure indigestion
* A recipe to nourish milk with medicinal properties
* 1300 schools celebrated Tulsi Worship Day.
* Foreigners liked Tulsi Worship Day.
* This will turn household conflicts into affection
आत्मशिव को कैसे पायें?
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: न मां दुष्कृतिनो मूढाः प्रपद्यन्ते नराधमाः ।...
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आनंदस्वरूप के ज्ञान-माधुर्य को जगाने का उत्सव
होली पर्व : २४ व २५ मार्च
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द्वन्द्रों से मुक्ति और अद्वैत की प्राप्ति
मन का निग्रह कैसे किया जाय इस बारे में बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण उद्धवजी से कहते हैं: \"मन ही सुख-दुःख का कारण है और संसार भी मनःकल्पित है। जिसे संसार का दुःख नष्ट करना हो उसे अवश्य ही मन पर काबू पाना चाहिए क्योंकि मन के सिवाय दुःख देनेवाला त्रिभुवन में दूसरा कोई नहीं। मन अत्यंत चंचल है, वह सहसा स्थिर नहीं रहता। इसलिए जिससे भेदभाव दूर हो सके ऐसा विचार करने का अवसर उसे दिन-रात देना चाहिए।
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जीवन के ओज की रक्षा कैसे करें?
जो विकारों के प्रभाव में आकर आकर्षित हो जाता है उसका सेवा में मन नहीं लगेगा, वह सेवा से च्युत हो जायेगा, भ्रष्ट हो जायेगा; ज्ञान से, संयम से, तप से भी भ्रष्ट हो जायेगा। जब तक पूर्णता को नहीं पाया तब तक स्त्री पुरुष की तरफ देखकर प्रभावित होती है और पुरुष स्त्री की तरफ देख के प्रभावित होता है, उनके हृदय में क्षोभ पैदा होता है... और यह है प्रकृति का, कई जन्मों का संस्कार। मनुष्य-जन्म में पुरुषार्थ करके उसे हटाना है।
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महँगा सौदा
एक किसान जा रहा था अपने खेत की रखवाली करने के लिए। रास्ते में उसे एक गठरी मिली।
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बुद्धि शुद्ध हो तो घसियारिन का उपदेश भी लग जाता है
संत कबीरजी कहते हैं :
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भागकर कहाँ जाओगे?
एक राजा ने रात में सपना देखा कि एक काली छाया आयी है और कह रही है : \"हे राजन् ! कल शाम को सूरज ढलने से पहले ठीक जगह पर पहुँच जाना।’’
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बालक पुरुषोत्तम का भगवत्प्रेम
गंगा-तट पर स्थित देवपुरी नामक गाँव में पुरुषोत्तमदासजी महाराज नाम के एक बहुत उच्च कोटि के संत हो गये। उनका जन्म एक साधारण कुटुम्ब में हुआ था। ३-४ साल की उम्र में उनके पिता चल बसे और ६ साल की उम्र में माता भी चल बसीं। बड़ी बहन ने उनको पाला-पोसा। बहन भगवान की भक्त थी। वह सत्संग में जाती थी तब छोटे पुरुषोत्तम को भी साथ में ले जाती थी।
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Rishi Prasad Hindi Magazine Description:
Publisher: Sant Shri Asharamji Ashram
Category: Religious & Spiritual
Language: Hindi
Frequency: Monthly
Started in 1990, Rishi Prasad has now become the largest circulated spiritual monthly publication in the world with more than 10 million readers. The magazine is a digest of all thought provoking latest discourses of His Holiness Asharam Bapu on various subjects directing simple solutions for a peaceful life. The magazine also features news on happenings at various ashrams in past month, inspirational texts from scriptures/legends , practical tips for healthy day-to-day living balancing materialism by idealism, Bapuji's answers to questions raised by seekers, disciples's experiences etc.
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