दुनिया की आबादी दिन-ब-दिन बढ़ रही है और 2050 तक 9 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है, इसलिए विशेषज्ञों का अनुमान है कि कृषि खपत उसी दर से बढ़ेगी। इस बड़ी, अधिक शहरी और समृद्ध आबादी को खिलाने के लिए खाद्य उत्पादन (जैव ईंधन के लिए उपयोग किए जाने वाले भोजन का शुद्ध) में 70% की वृद्धि) होनी चाहिए। वार्षिक अनाज उत्पादन 2.1 बिलियन टन से बढ़कर लगभग 3 बिलियन टन होना चाहिए और वार्षिक मांस उत्पादन 200 मिलियन टन से अधिक बढ़कर 470 मिलियन टन तक पहुँचना चाहिए। कृषि सबसे आशाजनक और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है क्योंकि यह जलवायु या मौसम, मिट्टी की स्थिति, सिंचाई के पानी की गुणवत्ता और मात्रा और सिंचाई जल आवेदन दर पर निर्भर है। इस लेख का तर्क है कि उन्नत कृषि उत्पादन तकनीकों को लागू करके खाद्य उत्पादन में आवश्यक वृद्धि हासिल की जा सकती है। ड्रोन जैसी उन्नत कृषि तकनीकों के उपयोग में कई बड़ी या छोटी चुनौतियों का सामना करने की क्षमता है। ड्रोन का उपयोग मुख्य रूप से कृषि में सिंचाई, फसल निगरानी, मिट्टी और क्षेत्र विश्लेषण और पक्षी नियंत्रण के लिए किया जाता है।
नई तकनीकों के विकास से किसानों को राहत मिली है। पिछले कुछ वर्षों में, ड्रोन का उपयोग बढ़ा है, और उनका उपयोग अर्थव्यवस्था के लगभग हर क्षेत्र में किया जाता है। हालाँकि, कृषि में ड्रोन तकनीक का उपयोग फल-फूल रहा है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, कृषि ड्रोन बाजार 2018 में $ 1.2 बिलियन (यूएसडी) उद्योग से बढ़कर 2024 में S 4.8 बिलियन होने की उम्मीद है।
टिकाऊ कृषि जीवन के लिए ड्रोन का एक प्रभावी दृष्टिकोण है। यह कृषिविदों, कृषि इंजीनियरों और किसानों को अपने कार्यों को कारगर बनाने और फसलों में प्रभावी अंतर्दृष्टि प्राप्त करने की अनुमति देता है। यह पहले से ही बड़े पैमाने पर खेती का हिस्सा बन चुका है।
ड्रोन या यूएवी
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।